शुभांशु शुक्ला बोले – “आज भी भारत सारे जहां से अच्छा”, अंतरिक्ष से लौटने से पहले दिया भावुक संदेश
भारत के अंतरिक्ष इतिहास में ऐतिहासिक पल
“अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन का प्रवास पूरा कर लिया है। भारत की ओर से ISS पर जाने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री बनकर उन्होंने पूरे देश को गर्वित किया है। अब वह Axiom-4 मिशन के तहत 15 जुलाई 2025 को प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन के जरिए धरती पर लौटने वाले हैं।”
“आज भी भारत सारे जहां से अच्छा”: अंतरिक्ष से दिया गर्व भरा संदेश
ISS से विदाई समारोह में शुभांशु ने भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के प्रसिद्ध वाक्य को दोहराया:
“आज भी भारत ऊपर से सारे जहां से अच्छा दिखता है।“
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से भारत एक महत्वाकांक्षी, निर्भीक और आत्मविश्वासी देश के रूप में नजर आता है।
स्प्लैशडाउन प्रक्रिया और वापसी का समय
- अनडॉकिंग: 14 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 4:35 बजे
- स्प्लैशडाउन: 15 जुलाई को दोपहर 3:00 बजे (भारतीय समय अनुसार)
- स्थान: कैलिफोर्निया तट, प्रशांत महासागर
- वाहन: SpaceX का Crew Dragon अंतरिक्षयान
क्या होता है स्प्लैशडाउन?
जब कोई अंतरिक्षयान समुद्र में उतरता है, तो इस प्रक्रिया को स्प्लैशडाउन कहा जाता है। यह वापसी का सबसे अहम चरण होता है, जो पूरी तरह से ऑटोमेटेड सिस्टम से नियंत्रित होता है।
Axiom-4 मिशन: एक सहयोगी वैश्विक अंतरिक्ष यात्रा
शुभांशु शुक्ला इस मिशन में शामिल रहे:
- कमांडर पेगी व्हिटसन (अमेरिका)
- स्लावोस उजनांस्की-विस्नीवस्की (पोलैंड)
- टिबोर कापू (हंगरी)
यह मिशन 26 जून 2025 को प्रारंभ हुआ था और अब सफलतापूर्वक समाप्त हो रहा है।
शुभांशु के अंतरिक्ष प्रयोग: गगनयान मिशन के लिए नींव
शुभांशु ने ISS पर रहते हुए भारत के गगनयान मिशन से जुड़े कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए:
प्रमुख प्रयोग:
- मांसपेशियों की कमजोरी पर शोध
- मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस तकनीक पर परीक्षण
- मूंग और मेथी के बीजों का अंकुरण
- वायेजर डिस्प्ले प्रयोग के तहत आंखों की गति और समन्वय की जांच
इन प्रयोगों से भारत को अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मानव मिशन के लिए ठोस वैज्ञानिक आधार मिलेगा।
रिटर्न मिशन: 580 पाउंड डेटा और उपकरणों के साथ वापसी
SpaceX के क्रू ड्रैगन में:
- नासा का हार्डवेयर
- 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोगों के डेटा
- अन्य परीक्षण सामग्री
शामिल है, जिसे पृथ्वी पर लाकर आगे की रिसर्च के लिए प्रयोग में लाया जाएगा।
पुनर्वास कार्यक्रम: धरती पर फिर से ढलने की प्रक्रिया
अंतरिक्ष से लौटने के बाद, शुभांशु को सात दिन के पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरना होगा। इसरो के अनुसार:
- फ्लाइट सर्जन की निगरानी में
- गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होने के लिए फिजियोथेरेपी और मॉनिटरिंग
- मानसिक और शारीरिक संतुलन की बहाली
यह चरण बेहद आवश्यक होता है क्योंकि अंतरिक्ष के भारहीन वातावरण से लौटने पर शरीर को फिर से अनुकूल बनाने में समय लगता है।
ISS पर 11 अंतरिक्षयात्रियों की उपस्थिति
- एक्सपीडिशन 73: 7 अंतरिक्षयात्री
- Axiom-4: 4 अंतरिक्षयात्री (शुभांशु सहित)
इस संयुक्त उपस्थिति में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल देखने को मिली।
शुभांशु का गौरवशाली स्थान: भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री
भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने 1984 में सोयूज़ T-11 से उड़ान भरी थी। 2025 में, शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 के जरिए अंतरिक्ष की यात्रा कर भारत को दूसरी बार प्रतिनिधित्व दिलाया। यह साबित करता है कि भारत अब केवल सपने देखने वाला देश नहीं, बल्कि उन्हें साकार करने वाला वैज्ञानिक राष्ट्र बन चुका है।
देशभर में खुशी की लहर, सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग
शुभांशु के संदेश और वापसी की खबर से पूरे भारत में गर्व और उत्साह का माहौल है।
एक यूजर ने लिखा –
“शुभांशु, तुमने साबित किया कि अंतरिक्ष से भी भारत सुंदर दिखता है।”
एक ऐतिहासिक उड़ान, एक प्रेरक संदेश
शुभांशु शुक्ला आज भी भारत सारे जहां से अच्छा कहते हुए न केवल एक भावुक विदाई दी, बल्कि 140 करोड़ देशवासियों को प्रेरित किया।
उनकी यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक मील का पत्थर है – और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उज्ज्वल दिशा।
