स्नेहा देबनाथ केस: 8 दिन बाद यमुना से मिली लाश, सिग्नेचर ब्रिज से छलांग लगाने का दिल्ली पुलिस का दावा
दिल्ली की छात्रा स्नेहा देबनाथ की गुमशुदगी का दुखद अंत, यमुना से मिला शव
“दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा स्नेहा देबनाथ, जो 7 जुलाई से लापता थी, अब इस दुनिया में नहीं रही। 8 दिन बाद, उसका शव यमुना नदी से बरामद किया गया है। दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि यह एक आत्महत्या का मामला है और छात्रा ने सिग्नेचर ब्रिज से कूदकर अपनी जान दी। लेकिन इस केस में अब भी कई ऐसे सवाल हैं जो अनसुलझे हैं। खासकर उस लेटर को लेकर, जो स्नेहा के कमरे से मिला था।”
स्नेहा देबनाथ लापता मामला: क्या हुआ था 7 जुलाई को?
स्नेहा, जो मूल रूप से त्रिपुरा की रहने वाली थी, दिल्ली में पढ़ाई कर रही थी। 7 जुलाई की सुबह, वह अपने दोस्त को स्टेशन छोड़ने के लिए घर से निकली थी। इसके बाद वह कभी वापस नहीं लौटी। पुलिस की जांच में उसकी मोबाइल लोकेशन सिग्नेचर ब्रिज के पास मिली थी, जिसके बाद से यह माना गया कि वह वहीं गई थी।
यमुना से मिली लाश, पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार
पुलिस को यमुना नदी से एक महिला का शव मिला, जिसकी पहचान स्नेहा के तौर पर की गई। हालांकि, अब तक मौत की असली वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही स्पष्ट होगी। पुलिस का कहना है कि शुरुआती संकेत आत्महत्या की ओर इशारा करते हैं।
कमरे से मिला लेटर: आत्महत्या या दबाव?
स्नेहा के कमरे की तलाशी के दौरान एक हाथ से लिखा पत्र मिला। उसमें लिखा था:
“मैं खुद को एक फेलियर और बोझ समझती हूं। अब बर्दाश्त नहीं होता। मैं सिग्नेचर ब्रिज से कूद रही हूं। ये मेरा अपना फैसला है।”
परिवार का दावा है कि यह पत्र संदिग्ध है। स्नेहा की बहन बिपाशा ने सवाल उठाते हुए कहा:
“चार लाइन में कोई भावना नहीं है, ये हमारी स्नेहा नहीं लिख सकती। अगर आत्महत्या करनी थी, तो वह घर पर भी कर सकती थी। सिग्नेचर ब्रिज क्यों?”
परिवार को भरोसा नहीं, सोशल मीडिया पर भी उठे सवाल
स्नेहा के माता-पिता और बहन ने शुरू से ही यह माना कि स्नेहा आत्महत्या नहीं कर सकती। सोशल मीडिया पर भी हजारों लोगों ने पुलिस की जांच पर शंका जताई और जवाबदेही की मांग की।
CCTV कैमरे बंद, जांच में लापरवाही
सबसे बड़ी चिंता की बात यह रही कि सिग्नेचर ब्रिज जैसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थान पर कोई भी CCTV कैमरा काम नहीं कर रहा था।
इस तकनीकी लापरवाही ने जांच को और भी मुश्किल बना दिया। लोगों ने पूछा:
“अगर वहां कैमरे होते, तो शायद स्नेहा को बचाया जा सकता था।”
FIR में देरी, कार्रवाई पर सवाल
स्नेहा की गुमशुदगी के 48 घंटे बाद FIR दर्ज की गई थी। यह देरी भी जांच की दिशा पर सवाल उठाती है। परिवार का कहना है कि अगर पुलिस शुरुआत से एक्टिव होती, तो शायद नतीजा अलग होता।
राजनीतिक और छात्र संगठनों की प्रतिक्रिया
इस केस ने सिर्फ परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।
- त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने दिल्ली पुलिस को फौरन कार्रवाई के निर्देश दिए।
- DU छात्र संघ (DUSU) अध्यक्ष रोनक खत्री ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को पत्र लिखकर तेज जांच की मांग की।
महिला सुरक्षा पर गहराया सवाल
स्नेहा देबनाथ लापता मामला दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा पर एक बार फिर बहस का विषय बन गया है।
“अगर राजधानी में एक छात्रा सुरक्षित नहीं, तो बाकी देश की छात्राओं की स्थिति क्या होगी?” – यह सवाल हर किसी के मन में है।
कई सवाल अभी भी अनसुलझे हैं
अब तक की जांच और मीडिया रिपोर्ट्स से ये स्पष्ट है कि:
- क्या लेटर वास्तव में स्नेहा ने लिखा था?
- क्या वह मानसिक दबाव में थी या किसी ने उसे मजबूर किया?
- CCTV कैमरे बंद क्यों थे?
- FIR दर्ज करने में 48 घंटे की देरी क्यों हुई?
ये सारे सवाल अब भी उत्तर की तलाश में हैं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मिलेगी मौत की सच्चाई
अब पूरा मामला पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर टिका है। पुलिस की अगली कार्रवाई रिपोर्ट के आधार पर तय होगी। परिवार को उम्मीद है कि यह रिपोर्ट सच्चाई को सामने लाएगी और अगर किसी ने स्नेहा को मजबूर किया, तो उसे सज़ा मिलेगी।
यह सिर्फ एक केस नहीं, एक चेतावनी है
स्नेहा देबनाथ लापता मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि:
- क्या हमारी सुरक्षा व्यवस्था वाकई सक्रिय है?
- क्या मानसिक स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मदद मौजूद है?
- क्या समाज में युवाओं के दबाव को हम समय रहते पहचान पाते हैं?
