सोनम रघुवंशी हत्या मामला और उसका अब तक का घटनाक्रम
“इंदौर की सोनम रघुवंशी को पति राजा रघुवंशी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। शुरुआती दौर में यह केस बहुत उलझा हुआ नजर आया और सोनम की भूमिका को लेकर कई सवाल उठे। हत्या की गुत्थी में सोनम के व्यवहार को देखकर नार्को टेस्ट की मांग ज़ोर पकड़ने लगी। राजा के परिजनों ने यह तक कह दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो वे सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।”
शिलांग एसपी का बयान: “नार्को टेस्ट की जरूरत नहीं”
मंगलवार को केस में एक बड़ा मोड़ आया। पूर्वी खासी हिल्स (शिलांग) के पुलिस अधीक्षक विवेक सिम ने स्पष्ट कहा कि इस मामले में नार्को टेस्ट की कोई आवश्यकता नहीं है। उनका तर्क था कि जब किसी मामले में पर्याप्त साक्ष्य और आरोपियों के कबूलनामे मौजूद हों, तब नार्को टेस्ट की जरूरत नहीं होती।
आरोपियों का कबूलनामा बना पुलिस की सबसे बड़ी ताकत
एसपी विवेक सिम ने बताया कि सोनम रघुवंशी और उसके कथित साथी राज कुशवाहा ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। उनके मुताबिक, “हमने अपराध स्थल का रिक्रिएशन किया है और तकनीकी सबूत भी जुटाए हैं। ऐसे में हम इस मामले में आगे बढ़ सकते हैं, बिना नार्को टेस्ट के।”
न्यायिक दृष्टिकोण: सुप्रीम कोर्ट की रोक का हवाला
विवेक सिम ने एक और महत्वपूर्ण बात कही कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नार्को टेस्ट को लेकर पहले ही स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। जब तक कोई आरोपी सहमति न दे और जब तक सबूत न हों, तब तक ऐसा टेस्ट लागू नहीं किया जा सकता।
राजा रघुवंशी के परिजन नाराज, कोर्ट जाने की चेतावनी
दूसरी तरफ, राजा रघुवंशी के परिवार का कहना है कि सोनम रघुवंशी इस हत्याकांड की मास्टरमाइंड है और वह मामले को घुमा रही है। उनका मानना है कि सोनम के हाव-भाव और जवाबों से लग रहा है कि वह कुछ छिपा रही है, इसलिए नार्को टेस्ट जरूरी है। वे इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और उच्च न्यायालय का रुख करने की तैयारी में हैं।
सोनम रघुवंशी की चालाकी पर शक
जांच में शामिल अधिकारियों ने बताया कि सोनम की चालबाज़ी और झूठ बोलने की आदत ने जांच को थोड़े समय के लिए मुश्किल बना दिया था। उसकी कहानी और बयानों में विरोधाभास भी पाए गए थे, लेकिन बाद में साक्ष्य और कबूलनामे से तस्वीर साफ हो गई।
क्या नार्को टेस्ट जरूरी है? कानून क्या कहता है?
भारतीय कानून के तहत किसी भी व्यक्ति का नार्को टेस्ट उसकी सहमति के बिना नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, यह मानवाधिकार का उल्लंघन हो सकता है अगर आरोपी पर इसे जबरदस्ती किया जाए।
क्या सोनम रघुवंशी को पूरी तरह राहत मिल गई है?
फिलहाल यह कहना जल्दबाज़ी होगा कि सोनम को पूरी राहत मिल गई है। हां, यह जरूर है कि नार्को टेस्ट से उसे बचाव मिला है और जांच अब कबूलनामे और मौजूद साक्ष्यों पर आगे बढ़ेगी।