वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा सीजेआई की अध्यक्षता वाला पीठ
“वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख तय, सीजेआई की अध्यक्षता में 16 अप्रैल को होगी सुनवाई भारत के सुप्रीम कोर्ट में 16 अप्रैल को एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे पर सुनवाई होनी है। यह सुनवाई वक्फ अधिनियम (Waqf Act) को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर की जाएगी। खास बात यह है कि इन याचिकाओं की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ द्वारा की जाएगी।”
क्या है वक्फ अधिनियम और क्यों हो रहा है विरोध ?
वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत, मुस्लिम धर्मस्थलों, कब्रिस्तानों, मस्जिदों, दरगाहों आदि को वक्फ संपत्ति घोषित किया जाता है। इस अधिनियम के तहत वक्फ बोर्डों को विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं, जिससे वे इन संपत्तियों का प्रबंधन कर सकते हैं।
हालांकि, कुछ संगठनों और व्यक्तियों ने इस कानून की संवैधानिकता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह अधिनियम धार्मिक आधार पर विशेषाधिकार प्रदान करता है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
किसने दाखिल की हैं याचिकाएं ?
विभिन्न नागरिक संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और भूमि अधिकार से जुड़े समूहों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। इनमें से कई याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि वक्फ बोर्ड बिना नोटिस और उचित कानूनी प्रक्रिया के भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित कर देता है।
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई: संवैधानिक बिंदु क्या हैं ?
क्या वक्फ अधिनियम समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है ?
बहस इस बात पर केंद्रित है कि क्या केवल एक समुदाय के लिए अलग कानून बनाना भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
संपत्ति अधिकार और न्यायिक प्रक्रिया का क्या है स्थान ?
कुछ याचिकाओं में यह भी तर्क दिया गया है कि वक्फ अधिनियम संपत्ति अधिकारों और प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों के विपरीत है क्योंकि इसमें तीसरे पक्ष को पर्याप्त सुनवाई का अवसर नहीं मिलता।
सुनवाई की तारीख क्यों है महत्वपूर्ण ?
16 अप्रैल को होने वाली सुनवाई इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह एक संवैधानिक पीठ द्वारा की जा रही है, जिसका निर्णय भविष्य में वक्फ अधिनियम पर गहरे प्रभाव डाल सकता है। सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ के अलावा इसमें अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश भी शामिल होंगे।
सरकार और वक्फ बोर्डों का पक्ष
सरकार और वक्फ बोर्डों ने वक्फ अधिनियम को संविधान-सम्मत और ऐतिहासिक रूप से आवश्यक बताया है। उनका तर्क है कि यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय की धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिए जरूरी है।
इस मुद्दे का व्यापक प्रभाव
अगर सुप्रीम कोर्ट यह मानता है कि वक्फ अधिनियम संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो इससे अन्य धार्मिक या सामुदायिक कानूनों की समीक्षा की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है। यह निर्णय संपत्ति अधिकारों, धार्मिक स्वतंत्रता और न्यायिक प्रक्रिया जैसे बड़े मुद्दों पर प्रभाव डालेगा।
