राष्ट्रीय

भारत और नेपाल के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘सूर्य किरण’ का 18वां संस्करण शुरू

भारतीय सेना और नेपाल की सेना के बीच बटालियन स्तरीय संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘सूर्य किरण’ का 18वां संस्करण नेपाल के सलझंडी में 29 दिसंबर से शुरू हो चुका है। यह अभ्यास 13 जनवरी तक चलेगा। इस वार्षिक सैन्य अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और परिचालन क्षमताओं को बढ़ावा देना है।”

‘सूर्य किरण’: द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की पहल

‘सूर्य किरण’ भारतीय सेना और नेपाली सेना के बीच आयोजित होने वाला एक वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है। यह दोनों देशों में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है। इस बार भारतीय सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स और नेपाली सेना की श्रीजंग बटालियन इस अभ्यास का नेतृत्व कर रही हैं।

अभ्यास के मुख्य उद्देश्य

  1. जंगल और पहाड़ी इलाकों में युद्ध कौशल में सुधार:
    • जंगल और पहाड़ों में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए रणनीति विकसित करना।
  2. आपदा राहत और मानवीय सहायता:
    • आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में दोनों सेनाओं की दक्षता को बढ़ाना।
  3. सामरिक और परिचालन क्षमताओं को साझा करना:
    • सैन्य अभ्यास के माध्यम से सर्वोत्तम व्यवस्थाओं का आदान-प्रदान।

अभ्यास के दौरान मुख्य गतिविधियां

  • सैनिकों की परिचालन तैयारियों को बढ़ाना।
  • चिकित्सा प्रशिक्षण और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान।
  • विमानन पहलुओं पर प्रशिक्षण।
  • चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में समन्वय और सामूहिक प्रयासों को मजबूत करना।

दोनों सेनाओं के प्रमुखों की भूमिका

इस अभ्यास का आयोजन भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नेपाली सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल की सफल यात्राओं और एक-दूसरे को मानद उपाधि से सम्मानित करने के बाद हो रहा है। यह अभ्यास दोनों देशों के बीच गहरे विश्वास और सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है।

भारत-नेपाल संबंधों को नई ऊंचाई

‘सूर्य किरण’ अभ्यास न केवल भारत और नेपाल के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करता है, बल्कि दोनों देशों के सैनिकों को अनुभव और विचारों का आदान-प्रदान करने का मंच भी प्रदान करता है। यह अभ्यास व्यापक रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय शांति के प्रति दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

‘सूर्य किरण’ का 18वां संस्करण भारत और नेपाल के बीच मित्रता और सैन्य सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास है। यह न केवल दोनों देशों की सेनाओं को मजबूत करेगा, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भी एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगा।

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