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मध्य प्रदेश में तांत्रिक की क्रूरता: अंधविश्वास, अपराध और समाज पर प्रभाव

परिचय

भारत में अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र की प्रथाएँ आज भी कई क्षेत्रों में देखने को मिलती हैं। वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद, समाज में अभी भी कई लोग तांत्रिकों के झांसे में आकर अपने जीवन को खतरे में डाल देते हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां एक तांत्रिक ने ‘भूत भगाने’ के नाम पर एक मासूम बच्चे के साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दीं। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया कि आखिर कब तक समाज ऐसे अंधविश्वासों के चंगुल में फंसा रहेगा।

इस लेख में, हम इस घटना की पृष्ठभूमि, तांत्रिक प्रथाओं के दुष्प्रभाव, कानून व्यवस्था, पुलिस की कार्रवाई, समाज पर प्रभाव और इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के उपायों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

मध्य प्रदेश में तांत्रिक की क्रूरता – घटना का विवरण

घटना मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव में घटी, जहां एक परिवार अपने बीमार बच्चे को एक तांत्रिक के पास लेकर गया। तांत्रिक ने दावा किया कि बच्चे पर भूत-प्रेत का साया है और उसे ठीक करने के लिए विशेष तांत्रिक विधियाँ अपनानी होंगी। बच्चे के माता-पिता, जो पहले से ही भयभीत थे, तांत्रिक की बातों में आ गए और उसके बताए गए अनुष्ठान को मानने के लिए तैयार हो गए।

तांत्रिक ने की हैवानियत

  1. आग के ऊपर उल्टा लटकाया – तांत्रिक ने कथित रूप से बच्चे को आग के ऊपर उल्टा लटकाया, जिससे उसकी हालत और भी बिगड़ गई।
  2. मारपीट और यातनाएँ – बच्चे को ‘शुद्धि’ के नाम पर तांत्रिक ने बुरी तरह पीटा और उसे कई घंटों तक दर्द सहने के लिए मजबूर किया।
  3. अत्यधिक गर्म तेल डाला गया – तांत्रिक ने बच्चे के शरीर पर गर्म तेल डालकर यह दावा किया कि इससे उसकी ‘बुरी आत्माएँ’ भाग जाएंगी।
  4. नवजात शिशु के साथ अमानवीय व्यवहार – कुछ रिपोर्टों के अनुसार, तांत्रिक ने पहले भी नवजात शिशुओं और महिलाओं के साथ क्रूरता की थी।

घटना के बाद, जब बच्चे की हालत गंभीर हो गई, तो परिजन उसे अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद, गाँव के लोगों ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया गया।

अंधविश्वास और तांत्रिक क्रियाओं का बढ़ता प्रभाव

भारत में कई ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी तांत्रिकों का प्रभाव देखने को मिलता है। मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार और अन्य राज्यों में तांत्रिक गतिविधियाँ आम हैं। इन क्षेत्रों में लोगों को यह विश्वास दिलाया जाता है कि तांत्रिक उनकी समस्याओं को हल कर सकते हैं, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग होती है।

  1. बीमारियों का इलाज तंत्र-मंत्र से करने का दावा – कई तांत्रिक दावा करते हैं कि वे बीमारियों को ठीक कर सकते हैं, जबकि वैज्ञानिक रूप से यह असंभव है।
  2. निःसंतान दंपतियों को संतान देने का झूठा वादा – कई तांत्रिक महिलाओं को संतान प्राप्ति के नाम पर ठगते हैं और कई बार शारीरिक शोषण भी करते हैं।
  3. जादू-टोने और काला जादू – समाज में कुछ लोग यह मानते हैं कि उनके ऊपर किसी ने जादू-टोना कर दिया है, जिससे बचने के लिए वे तांत्रिकों का सहारा लेते हैं।
  4. डायन प्रथा – कुछ गाँवों में महिलाओं को ‘डायन’ बताकर उन पर अत्याचार किए जाते हैं, जिसका कारण भी तांत्रिकों की झूठी बातें होती हैं।

कानूनी स्थिति और पुलिस की कार्रवाई

भारत में अंधविश्वास और तांत्रिक गतिविधियों के खिलाफ कई कानून बनाए गए हैं, लेकिन उनकी प्रभावी तरीके से लागू करने की जरूरत है।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएँ

  1. धारा 302 (हत्या) – यदि किसी तांत्रिक की गतिविधि से किसी की मृत्यु होती है, तो उसे हत्या के तहत सजा दी जा सकती है।
  2. धारा 323 (मारपीट) – तांत्रिक यदि किसी व्यक्ति को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता है, तो उसके खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज किया जा सकता है।
  3. धारा 420 (धोखाधड़ी) – झूठे दावे कर लोगों को ठगने वाले तांत्रिकों पर यह धारा लगाई जा सकती है।
  4. डायन प्रथा विरोधी कानून – कुछ राज्यों ने डायन बताकर प्रताड़ित करने के खिलाफ विशेष कानून बनाए हैं।

पुलिस की भूमिका

मध्य प्रदेश पुलिस ने इस घटना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया।

  • पुलिस ने गाँव में जाकर तांत्रिक की गतिविधियों की पूरी जांच की।
  • आरोपी के खिलाफ कड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
  • गाँव में अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता अभियान भी शुरू किया गया।

समाज पर प्रभाव

इस तरह की घटनाएँ समाज पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं।

  1. डर और आतंक – ऐसे अपराधों से गाँवों में डर का माहौल बन जाता है।
  2. बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराध – तांत्रिक अक्सर कमजोर वर्गों को निशाना बनाते हैं।
  3. शिक्षा की कमी – शिक्षित लोग इन बातों से दूर रहते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी जागरूकता की भारी कमी है।

भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के उपाय

  1. अंधविश्वास विरोधी कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए – सरकार को इस तरह के मामलों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
  2. गाँवों में जागरूकता अभियान चलाया जाए – शिक्षा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए अभियान जरूरी हैं।
  3. मीडिया की भूमिका – मीडिया को अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता फैलाने में मदद करनी चाहिए।
  4. स्कूलों में वैज्ञानिक शिक्षा को बढ़ावा देना – अगर बचपन से ही बच्चों को वैज्ञानिक सोच सिखाई जाए, तो वे भविष्य में ऐसे अंधविश्वासों से बच सकते हैं।
  5. सामाजिक संगठनों की भागीदारी – विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को इस मुद्दे पर काम करना चाहिए और ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों को शिक्षित करना चाहिए।

निष्कर्ष

मध्य प्रदेश में हुई इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अंधविश्वास और तांत्रिक प्रथाएँ समाज के लिए कितनी घातक हो सकती हैं। एक निर्दोष बच्चे की मौत केवल एक परिवार का नुकसान नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। यह समय है कि हम सब मिलकर अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाएँ और समाज में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दें।

सरकार, प्रशासन, मीडिया और आम जनता को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों। हमें अपने बच्चों और परिवारों को शिक्षित करना होगा ताकि वे किसी भी तरह के तांत्रिक या झूठे दावों के जाल में न फँसें।

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