ट्रंप की नई व्यापार रणनीति के तहत आधी रात से 86 देशों के आयात पर लगेगा शुल्क
“ट्रंप की व्यापार नीति और टैरिफ: 86 देशों से आयात पर आधी रात से लगेंगे नए शुल्क ट्रंप की व्यापार नीति और टैरिफ अब एक बार फिर से वैश्विक व्यापार जगत में चर्चा का विषय बन गई है। अमेरिकी प्रशासन ने घोषणा की है कि 86 देशों से आयातित वस्तुओं पर नए टैरिफ आज आधी रात से लागू कर दिए जाएंगे। अमेरिकी कस्टम विभाग ने इन टैरिफों की वसूली प्रक्रिया शुरू करने का ऐलान कर दिया है।”
क्यों लगाए जा रहे हैं नए टैरिफ ?
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में जो “अमेरिका फर्स्ट” व्यापार नीति अपनाई गई थी, उसी नीति की पुनरावृत्ति अब फिर से देखी जा रही है।
सरकार का दावा है कि यह कदम अमेरिकी उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने, स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने और अत्यधिक आयात पर नियंत्रण के लिए उठाया गया है।
किन देशों से आने वाले सामान पर लगेगा असर ?
इन 86 देशों में एशिया, यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के प्रमुख निर्यातक देश शामिल हैं। जिन वस्तुओं पर टैरिफ लगाया गया है, उनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
- स्टील और एल्यूमिनियम
- इलेक्ट्रॉनिक सामान
- टेक्सटाइल और रेडीमेड कपड़े
- मशीनरी
- ऑटो पार्ट्स और वाहन
कस्टम विभाग की तैयारी
अमेरिकी कस्टम विभाग ने स्पष्ट किया है कि नए टैरिफ की वसूली आधी रात से शुरू हो जाएगी। सभी संबंधित आयातक कंपनियों को इस संबंध में सूचना दी जा चुकी है।
इसके अलावा कस्टम डिक्लेरेशन प्रक्रिया को भी अपडेट किया गया है, जिससे नए टैरिफ स्वतः जुड़ जाएंगे।
व्यापारिक संगठनों की प्रतिक्रिया
ट्रंप की व्यापार नीति और टैरिफ को लेकर कई अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय व्यापार संगठनों ने चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि इससे आयात महंगा हो जाएगा, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई का सीधा असर पड़ेगा।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर
इस फैसले का असर सिर्फ अमेरिकी बाजार पर नहीं, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन पर भी पड़ेगा।
कई कंपनियां, जो अमेरिका में निर्माण करती हैं, वे जरूरी पुर्जों और कच्चे माल के लिए इन 86 देशों पर निर्भर हैं। टैरिफ के कारण उनकी लागत बढ़ेगी और उत्पादन दर घट सकती है।
ट्रंप की वापसी की रणनीति ?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की यह नीति 2024 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए बनाई जा रही है। वे एक बार फिर से राष्ट्रवादी आर्थिक एजेंडा को सामने रखकर अपने मतदाताओं को आकर्षित करना चाहते हैं।
टैरिफ का संभावित प्रभाव
ट्रंप की व्यापार नीति और टैरिफ का प्रभाव कई स्तरों पर दिखाई देगा:
- घरेलू उत्पादन बढ़ सकता है, लेकिन लागत भी बढ़ेगी
- आयातित सामान महंगा होगा, जिससे उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा
- वैश्विक व्यापार रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं
- अन्य देश भी जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं
क्या यह नीति लंबे समय तक टिकेगी ?
यह अब देखना होगा कि बाइडन प्रशासन इस नीति को कितना आगे बढ़ाता है।
हालांकि वर्तमान सरकार ने ट्रंप की कुछ टैरिफ नीतियों को बनाए रखा है, लेकिन भविष्य में व्यापार संतुलन और वैश्विक सहयोग की दिशा में बदलाव की संभावना बनी हुई है।
भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
भारत भी इन 86 देशों की सूची में शामिल है। ऐसे में भारतीय निर्यातकों को अतिरिक्त शुल्क का सामना करना पड़ सकता है।
विशेष रूप से टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स और इलेक्ट्रॉनिक सामान का अमेरिका में व्यापार प्रभावित हो सकता है। भारतीय कंपनियों को अब अपने मूल्य निर्धारण और रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है।
समाधान की ओर सुझाव
अगर अमेरिका को घरेलू उद्योग को बढ़ावा देना है तो टैरिफ से आगे जाकर तकनीकी नवाचार, कौशल विकास और उत्पादन अनुकूल माहौल पर ध्यान देना होगा।
इसी तरह, आयात नियंत्रण के साथ-साथ निर्यात को भी प्रोत्साहित करना ज़रूरी है ताकि अमेरिका वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रहे।