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UP उपचुनाव 2024: बिना प्रमुख चेहरों के चुनावी रण में उतरेंगे सियासी दल, 9 सीटों पर नामांकन आज से शुरू

  • उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू हो रही है।
  • राजनीतिक दलों के लिए यह उपचुनाव बेहद अहम है, क्योंकि यह आगामी लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है।
  • नामांकन प्रक्रिया आज से शुरू हो रही है, और सियासी दल अपने उम्मीदवारों का चयन और प्रचार रणनीतियों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं।

उपचुनाव की स्थिति:

उत्तर प्रदेश के 9 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले एक बड़ी परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, इस बार कई प्रमुख चेहरे या बड़े नेता चुनावी मैदान में नहीं उतर रहे हैं, जिसके कारण यह उपचुनाव सियासी दलों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।

नामांकन की प्रक्रिया आज से शुरू हो चुकी है, और उम्मीदवार 10 दिनों के भीतर नामांकन भर सकते हैं। इसके बाद चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखें निर्धारित की जाएंगी और परिणाम आने के बाद यह तय होगा कि किस दल का प्रभाव इन क्षेत्रों में अधिक मजबूत है।

राजनीतिक दलों की तैयारियां:

  • भाजपा (BJP): सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी इस उपचुनाव को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पार्टी ने सभी क्षेत्रों में अपने संगठन को मजबूत किया है और वे हर सीट को जीतने के लिए आक्रामक प्रचार रणनीति अपना रही है। हालांकि, भाजपा के कई प्रमुख नेता इस चुनाव में सीधे तौर पर शामिल नहीं होंगे, लेकिन पार्टी अपने मजबूत गठबंधन और संगठन के बल पर जीत की उम्मीद कर रही है।
  • समाजवादी पार्टी (SP): अखिलेश यादव की पार्टी के लिए यह उपचुनाव लोकसभा चुनावों से पहले सियासी जमीन तैयार करने का एक महत्वपूर्ण मौका है। सपा की नजर उन क्षेत्रों पर है, जहां पर वे जातिगत समीकरणों और स्थानीय मुद्दों का फायदा उठाकर भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
  • बहुजन समाज पार्टी (BSP): मायावती की पार्टी पिछले कुछ समय से राजनीतिक हाशिए पर रही है, लेकिन उपचुनाव में पार्टी का प्रदर्शन उनके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होगा। बसपा ने अपने कोर वोट बैंक यानी दलित समुदाय पर ध्यान केंद्रित किया है, और वे इसे अपनी पुरानी सियासी जमीन वापस पाने का अवसर मान रही हैं।
  • कांग्रेस: कांग्रेस ने यूपी में पिछले कुछ चुनावों में अपनी स्थिति कमजोर पाई है, लेकिन पार्टी उपचुनाव के जरिए अपनी वापसी की कोशिश में है। कांग्रेस के नए चेहरे और स्थानीय मुद्दों पर जोर देने वाली रणनीति का सहारा लेकर पार्टी अपने जनाधार को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

महत्वपूर्ण सीटें:

इन 9 विधानसभा सीटों में से कई ऐसी सीटें हैं, जो राजनीतिक दलों के लिए न केवल चुनावी परिणाम बल्कि आगामी लोकसभा चुनावों की रणनीतियों को प्रभावित कर सकती हैं। इन सीटों पर जातिगत समीकरण, विकास के मुद्दे, और क्षेत्रीय प्रभाव का बड़ा असर हो सकता है।

  • कई सीटें ऐसे क्षेत्रों में हैं, जहां ओबीसी, दलित और मुस्लिम वोट प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इन वर्गों के समर्थन को जीतने के लिए सभी दल अपने उम्मीदवारों का चयन कर रहे हैं।

चुनावी मुद्दे:

इस उपचुनाव में कई मुद्दे हावी हो सकते हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:

  • विकास और बेरोजगारी: इन चुनावों में स्थानीय विकास, रोज़गार और बुनियादी ढांचे की समस्याओं को लेकर वोटर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे।
  • महंगाई: बढ़ती महंगाई, खासकर खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में वृद्धि, एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।
  • जातिगत समीकरण: उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरण चुनावों में अहम भूमिका निभाते हैं, और इस उपचुनाव में भी यही स्थिति देखने को मिलेगी।
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