अमेरिका का यमन पर हमला: हूती विद्रोहियों पर हवाई कार्रवाई तेज़
“मध्य-पूर्व में तनाव एक बार फिर बढ़ गया है, जहां अमेरिका ने यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर बड़ा हवाई हमला किया है। इस हमले में कम से कम 10 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 16 से अधिक लोग घायल हुए हैं। यह हमला यमन के होदेदा शहर के पास हुआ, जो लाल सागर के किनारे स्थित एक प्रमुख बंदरगाह शहर है।”
क्यों हुआ अमेरिका का यमन पर हमला ?
हूती विद्रोही गुट को अमेरिका और कई पश्चिमी देश ईरान समर्थित मानते हैं। हाल के महीनों में हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर क्षेत्र में व्यापारिक जहाजों पर हमले तेज हो गए हैं। इन हमलों ने न सिर्फ वैश्विक व्यापार को प्रभावित किया, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया।
अमेरिका का यह हमला उन कार्रवाइयों की एक कड़ी है, जो वह हूती हमलों के जवाब में और समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए कर रहा है। अमेरिका ने पहले भी कहा था कि वह अपने नागरिकों, जहाजों और सहयोगियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।
यमन में हालात पहले से ही संवेदनशील
यमन में पिछले एक दशक से जारी गृहयुद्ध ने देश को सामाजिक, राजनीतिक और मानवीय संकट में डाल दिया है। एक ओर हूती विद्रोही गुट है, तो दूसरी ओर सऊदी अरब समर्थित यमनी सरकार। इस संघर्ष में लाखों लोग मारे जा चुके हैं या विस्थापित हो चुके हैं। अमेरिका का यह ताजा हमला इस संकट को और जटिल बना सकता है।
हूती विद्रोही कौन हैं ?
हूती विद्रोही यमन का एक शिया मुसलमान समूह है, जिसे ‘अंसार अल्लाह’ के नाम से भी जाना जाता है। यह गुट 2004 से सक्रिय है और 2014 के बाद से यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर चुका है। हूती गुट को अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देश ईरान समर्थित मानते हैं। उनका दावा है कि ईरान उन्हें हथियार और तकनीकी सहायता देता है।
अमेरिका की कार्रवाई का उद्देश्य
अमेरिका का यमन पर हमला केवल प्रतिशोध नहीं है। इसका उद्देश्य क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा बनाए रखना, अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित होने से रोकना, और हूती गतिविधियों को नियंत्रित करना है। अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार, उन्होंने उन स्थानों को निशाना बनाया है जहां से हूती विद्रोही मिसाइल और ड्रोन हमले संचालित करते हैं।
लाल सागर में बढ़ती सुरक्षा चिंताएँ
लाल सागर व्यापार और नौवहन का एक अहम मार्ग है। यहां से होकर दुनिया के बड़े हिस्से में तेल, गैस और अन्य सामान पहुंचते हैं। यदि हूती गुट इस क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करता है, तो इसका असर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ सकता है। इस वजह से अमेरिका और अन्य सहयोगी देश इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं करना चाहते।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और खतरे की आशंका
हवाई हमले के बाद अभी तक ईरान की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि क्षेत्रीय विश्लेषकों का मानना है कि यह हमला ईरान और अमेरिका के बीच पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा सकता है। इस बात की भी संभावना है कि हूती गुट इसके जवाब में और हमले करे, जिससे पूरे मध्य-पूर्व में संघर्ष तेज हो सकता है।
मानवाधिकार संगठनों की चेतावनी
ह्यूमन राइट्स वॉच और अन्य संस्थाएँ बार-बार चेतावनी देती रही हैं कि यमन में किसी भी सैन्य कार्रवाई से आम नागरिकों को सबसे ज़्यादा नुकसान होता है। इस हवाई हमले में भी आम नागरिकों की मौत की आशंका जताई जा रही है, हालांकि अमेरिका का दावा है कि उसने केवल सैन्य ठिकानों को ही निशाना बनाया।
यमन संघर्ष पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन लगातार यमन संघर्ष को खत्म करने के प्रयास कर रहे हैं। लेकिन जब तक दोनों पक्ष बातचीत की मेज पर नहीं आते, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। अमेरिका का यमन पर हमला इस बात का संकेत है कि कूटनीति विफल हो रही है और सैन्य विकल्पों को प्राथमिकता दी जा रही है।
क्या यह हमला समाधान है या संकट की शुरुआत ?
अमेरिका का यमन पर हमला एक बार फिर इस क्षेत्र को उबाल पर ले आया है। जहां एक ओर अमेरिका इसे सुरक्षा के लिए आवश्यक बता रहा है, वहीं दूसरी ओर यह कदम शांति की प्रक्रिया को और जटिल बना सकता है। हूती विद्रोहियों की प्रतिक्रिया क्या होगी, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।
