रघुराम राजन बोले: अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर से भारत को मिल सकता है आर्थिक फायदा
“अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर भारत के लिए फायदेमंद मौका: रघुराम राजन की अहम टिप्पणी अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है — यह कहना है भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डॉ. रघुराम राजन का। उन्होंने हाल ही में एक सार्वजनिक मंच पर बोलते हुए कहा कि यदि भारत सही रणनीति अपनाए और वैश्विक परिस्थितियों का लाभ उठाए, तो यह अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने का सुनहरा मौका बन सकता है।”
ट्रेड वॉर क्या है और क्यों बना मौका ?
अमेरिका और चीन के बीच पिछले कुछ वर्षों से व्यापार को लेकर टकराव चल रहा है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए हैं, जिससे वैश्विक सप्लाई चेन और व्यापारिक स्थिरता पर प्रभाव पड़ा है।
रघुराम राजन का मानना है कि इस टकराव के कारण जो अनिश्चितता बनी है, वह भारत के लिए नए अवसर खोल सकती है — बशर्ते सरकार सही नीतिगत फैसले ले।
रघुराम राजन ने क्यों कहा भारत के लिए लाभकारी ?
डॉ. राजन ने कहा,
“अगर भारत अपने पत्ते सही तरीके से खेले, तो अमेरिका-चीन के बीच का यह संघर्ष हमारे लिए मौका बन सकता है। विदेशी कंपनियां वैकल्पिक निवेश गंतव्य तलाश रही हैं और भारत उनके लिए आदर्श विकल्प बन सकता है।”
उन्होंने कहा कि अमेरिकी कंपनियां चीन से बाहर निवेश के विकल्प देख रही हैं, और भारत को आकर्षक नीतियों, मज़बूत लॉजिस्टिक्स और स्थिर नियामक ढांचे के ज़रिए खुद को सबसे उपयुक्त स्थान के रूप में पेश करना चाहिए।
किन क्षेत्रों में भारत को मिल सकता है लाभ ?
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर भारत के लिए फायदेमंद बनने के लिए इन क्षेत्रों में अवसर स्पष्ट हैं:
- मैन्युफैक्चरिंग: इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्युटिकल, ऑटोमोबाइल्स
- IT और डिजिटल सर्विसेज: डेटा सेंटर, क्लाउड कंप्यूटिंग
- टेक्सटाइल और गारमेंट्स: चीन से ऑर्डर शिफ्ट हो सकते हैं
- रेन्यूएबल एनर्जी: सोलर पैनल उत्पादन में भारत की भागीदारी
- सेमीकंडक्टर और चिप निर्माण: रणनीतिक क्षेत्र में भारत को बढ़त मिल सकती है
अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताएं बढ़ाने की सलाह
रघुराम राजन ने यह भी कहा कि यह समय अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताओं को तेज करने का है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को दोनों देशों के बीच तटस्थ भूमिका निभाते हुए, अमेरिकी कंपनियों के लिए फ्रेंडली इन्वेस्टमेंट वातावरण तैयार करना चाहिए।
भारत को क्या कदम उठाने होंगे ?
- नीति में स्थिरता और पारदर्शिता लानी होगी
- लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारना होगा
- मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाली योजनाओं को मजबूत करना होगा
- फॉरेन इन्वेस्टर्स को भरोसा दिलाना होगा कि भारत लॉन्ग टर्म के लिए सुरक्षित गंतव्य है
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी कूटनीति अपनानी होगी
वैश्विक निवेशकों की नजर भारत पर
हाल के महीनों में कई वैश्विक कंपनियों ने भारत में निवेश की घोषणा की है। इसमें Apple, Foxconn, Samsung जैसी टेक कंपनियों के नाम शामिल हैं। इनमें से कई पहले चीन में अपना उत्पादन कर रही थीं, लेकिन अब भारत को “चाइना प्लस वन” रणनीति के तहत प्राथमिकता दी जा रही है।
क्या भारत तैयार है ?
भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’, ‘पीएलआई स्कीम’, और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस जैसी योजनाएं निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं, लेकिन अभी भी जमीन अधिग्रहण, श्रम कानूनों, और अप्रत्याशित टैक्स नीति जैसी बाधाएं सामने आती हैं।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि रघुराम राजन की बात में दम है। उनका यह बयान उस समय आया है जब भारत की विकास दर मजबूत बनी हुई है और दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं धीमी हो रही हैं।
दिशा
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर भारत के लिए फायदेमंद बन सकता है, अगर सरकार इस समय को गंभीरता से ले और रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाए। रघुराम राजन की सलाह नीति निर्माताओं के लिए एक चेतावनी नहीं, बल्कि संभावनाओं का नक्शा है।
