अमेरिकी अदालत ने ट्रंप के टैरिफ पर लगाया प्रतिबंध
"अमेरिका की एक संघीय व्यापार अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित ‘लिबरेशन डे’ आयात शुल्क को लागू करने पर रोक लगा दी है। अदालत का मानना है कि ट्रंप ने अपने संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है और उनके कदम अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम (IEEPA) के तहत राष्ट्रपति पद को दिए गए अधिकारों के दायरे से बाहर हैं।"
ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ का बचाव किया
ट्रंप प्रशासन ने इस टैरिफ को बचाव के लिए बताया कि यह व्यापार असंतुलन से उत्पन्न राष्ट्रीय खतरे का सामना करने के लिए जरूरी था, खासकर चीन और यूरोपीय संघ जैसे बड़े व्यापारिक साझेदारों के खिलाफ। अधिकारियों ने यह भी कहा कि टैरिफ हटाने से चीन के साथ चल रही शांतिदूत वार्ताओं पर असर पड़ सकता है और दक्षिण एशिया में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव फिर बढ़ सकता है।
अदालत ने व्यापार वार्ताओं और विधायी प्रक्रिया पर जताई चिंता
अदालत ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस ने राष्ट्रपति को असीमित शक्तियां नहीं दी हैं। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि बिना उचित विधायी प्रक्रिया के ऐसे टैरिफ व्यापारिक ऑपरेशन को नुकसान पहुंचाएंगे और लागत बढ़ाएंगे। दो मुकदमों में से एक अमेरिका के छोटे व्यवसायों द्वारा और दूसरा 13 राज्यों द्वारा दायर किया गया था।
ट्रंप प्रशासन की कानूनी लड़ाई जारी
हालांकि अदालत के इस फैसले के बावजूद ट्रंप प्रशासन ने तुरंत अपील दायर कर कानूनी लड़ाई जारी रखने का संकेत दिया है। 2 अप्रैल को ट्रंप ने अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर 10 प्रतिशत की बेसलाइन के साथ व्यापक टैरिफ लगाए थे, जिसमें चीन और यूरोपीय संघ को उच्च दरें दी गईं।
टैरिफ के प्रभाव और व्यापार वार्ता
टैरिफ की घोषणा के बाद वित्तीय बाजारों में हलचल आई और कई देशों को विशिष्ट शुल्कों पर अस्थायी रोक लगानी पड़ी। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने 12 मई को चीन पर टैरिफ अस्थायी रूप से कम करने की घोषणा की। दोनों देशों ने कम से कम 90 दिनों के लिए कुछ शुल्कों को घटाने पर सहमति व्यक्त की है।
"अमेरिकी अदालत का यह फैसला राष्ट्रपति ट्रंप के व्यापार नीतियों की संवैधानिक सीमा पर सवाल उठाता है। टैरिफ पर लगी रोक और ट्रंप प्रशासन की कानूनी लड़ाई आगामी दिनों में अमेरिकी और वैश्विक व्यापार पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है।"
