ट्रम्प ने भारत से आयात पर 26% शुल्क लगाया: ‘प्रतिदान’ कदम के तहत
भारत से आयात पर अमेरिकी शुल्क: एक समझौता विरोधी कदम ?
“अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से आयातित सामान पर 26% शुल्क लगाने की घोषणा की है। यह निर्णय ‘प्रतिदान’ (reciprocal) कार्रवाई के तौर पर लिया गया है। इससे भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में नया तनाव पैदा हो सकता है।”
टैरिफ युद्ध की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका ने कई देशों के साथ व्यापार युद्ध छेड़ रखा है। भारत पर यह नया शुल्क उसी नीति का हिस्सा है। अमेरिका का दावा है कि भारत ने अमेरिकी सामान पर अधिक शुल्क लगाया हुआ है।
किन उत्पादों पर लगेगा शुल्क ?
अमेरिका ने निम्नलिखित प्रमुख भारतीय उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है:
- इंजीनियरिंग सामान: मशीनरी और औद्योगिक उपकरण
- रसायन: फार्मास्यूटिकल और केमिकल उत्पाद
- हस्तशिल्प: हस्तनिर्मित वस्तुएं और कपड़े
- कृषि उत्पाद: मसाले और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ
भारतीय निर्यात पर प्रभाव
इस निर्णय से भारत के निर्यात को भारी झटका लग सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारतीय उद्योगों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में मुश्किल होगी।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस निर्णय को ‘एकतरफा’ और ‘अनुचित’ बताया है। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वह उचित कदम उठाएगा। संभावना है कि भारत भी अमेरिकी सामान पर शुल्क बढ़ा सकता है।
संभावित प्रतिकारी कदम
भारत के पास निम्नलिखित विकल्प हो सकते हैं:
- प्रतिशुल्क लगाना: चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क
- व्यापार समझौता: नए वार्ता दौर की शुरुआत
- डब्ल्यूटीओ में शिकायत: अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मामला उठाना
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
इस निर्णय के निम्नलिखित आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं:
- निर्यात में कमी: अमेरिका भारत का प्रमुख निर्यात बाजार है
- रोजगार पर असर: निर्यात उन्मुख उद्योगों में नौकरियां खतरे में
- मुद्रा दबाव: रुपये पर अतिरिक्त दबाव बढ़ सकता है
द्विपक्षीय संबंधों पर असर
यह निर्णय भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग पर इसका ज्यादा असर नहीं होगा।
उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
भारतीय उद्योग संगठनों ने इस निर्णय पर चिंता जताई है। फिक्की और सीआईआई जैसे संगठनों ने सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है।
निर्यातकों के लिए सुझाव
विशेषज्ञ निर्यातकों को निम्नलिखित उपाय करने की सलाह देते हैं:
- बाजार विविधीकरण: अमेरिका के अलावा अन्य बाजारों पर ध्यान देना
- उत्पाद गुणवत्ता: उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाकर प्रतिस्पर्धा क्षमता सुधारना
- कीमत रणनीति: उत्पादन लागत कम करने के उपाय करना
भविष्य की संभावनाएं
विश्लेषकों का मानना है कि यह व्यापार तनाव लंबे समय तक नहीं रहेगा। दोनों देशों के बीच वार्ता के जरिए समाधान निकालने की उम्मीद है। हालांकि, अल्पकाल में यह निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
