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अमेरिका ने चीन से आयातित कुछ वस्तुओं पर 104% तक टैरिफ लगाया, आज रात से लागू

अमेरिका द्वारा चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने का बड़ा फैसला

अमेरिका द्वारा चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने का निर्णय आज रात से लागू हो रहा है। व्हाइट हाउस की ओर से पुष्टि की गई है कि कुछ आयातित चीनी वस्तुओं पर 104 प्रतिशत तक का शुल्क लगाया जाएगा। यह फैसला अमेरिका की घरेलू अर्थव्यवस्था और औद्योगिक प्रतिस्पर्धा को सुरक्षित करने के उद्देश्य से लिया गया है।


क्यों बढ़ाया गया टैरिफ ?

अमेरिका का कहना है कि चीन की व्यापार नीतियां लंबे समय से अनुचित रही हैं। चीन द्वारा सरकारी सब्सिडी से अपने उत्पादों की कीमतें कम रखना, अमेरिकी बाजार में भारी मात्रा में वस्तुएं भेजना और तकनीकी चोरी जैसे मामलों को लेकर अमेरिका लगातार चिंतित रहा है। इन सब कारणों से अमेरिका द्वारा चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की गई।


किन उत्पादों पर लागू होगा 104% टैरिफ ?

104 प्रतिशत का यह टैरिफ कुछ खास प्रकार की वस्तुओं पर ही लागू होगा। इनमें विशेष रूप से स्टील, एल्यूमिनियम, सौर उपकरण, और इलेक्ट्रिक वाहनों के पुर्जे शामिल हैं। अमेरिका का कहना है कि इन वस्तुओं के ज़रिए चीन अपने उत्पादों को डंप करता है, जिससे अमेरिकी उद्योगों को नुकसान होता है।


इस टैरिफ के पीछे अमेरिका का उद्देश्य

अमेरिका का मुख्य उद्देश्य घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना और चीनी वस्तुओं पर निर्भरता कम करना है। बाइडेन प्रशासन पहले से ही “मेड इन अमेरिका” अभियान को आगे बढ़ा रहा है। इस फैसले के ज़रिए अमेरिका यह दिखाना चाहता है कि वह अपने औद्योगिक क्षेत्र को बाहरी दबावों से बचाना चाहता है।


अमेरिका की घरेलू कंपनियों को लाभ

यह टैरिफ अमेरिकी कंपनियों के लिए एक तरह से राहत की खबर है। जब विदेशी उत्पाद महंगे होंगे, तो घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता मिलेगी। इससे अमेरिकी कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी और रोज़गार के अवसर भी बढ़ सकते हैं।


उपभोक्ताओं पर क्या असर पड़ेगा ?

हालांकि यह टैरिफ नीति घरेलू उद्योगों के लिए लाभकारी हो सकती है, लेकिन इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। जब चीनी वस्तुएं महंगी होंगी, तो उनके विकल्प महंगे हो सकते हैं। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को रोज़मर्रा की वस्तुओं के लिए अधिक खर्च करना पड़ सकता है।


चीन की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है?

अभी तक चीन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि चीन भी बदले में अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ लगा सकता है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध और गहरा हो सकता है।


वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर

अमेरिका द्वारा चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने का असर केवल दोनों देशों तक सीमित नहीं रहेगा। चूंकि ये दोनों विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, इसलिए उनके बीच व्यापारिक तनाव से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है इसका असर विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़ेगा।


पिछली घटनाएं और वर्तमान निर्णय

यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने चीन पर टैरिफ लगाया हो। 2018 में भी ट्रंप प्रशासन ने इसी तरह के निर्णय लिए थे। हालांकि बाइडेन प्रशासन ने शुरू में उस नीति को थोड़ी राहत दी थी, लेकिन अब फिर से सख्ती देखने को मिल रही है।


विशेषज्ञों की राय

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह कदम राजनीतिक और आर्थिक दोनों दृष्टिकोण से अहम है। 2024 के राष्ट्रपति चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है, ताकि घरेलू उद्योगों का समर्थन हासिल किया जा सके।


अमेरिका के अन्य साझेदार देशों पर प्रभाव

कई देशों की कंपनियां चीन के ज़रिए अमेरिका को अपने उत्पाद बेचती हैं। ऐसे में टैरिफ बढ़ने से इन देशों की भी लागत बढ़ेगी। भारत, वियतनाम, और दक्षिण कोरिया जैसे देश इस नीति से प्रभावित हो सकते हैं।


आगे का रास्ता क्या है ?

यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक संबंध किस दिशा में जाते हैं। अगर दोनों देशों ने आपसी बातचीत से समाधान नहीं निकाला, तो वैश्विक व्यापार प्रणाली को भारी झटका लग सकता है।


सुझाव

अमेरिका और चीन को व्यापार में संतुलन बनाए रखने की दिशा में मिलकर काम करना चाहिए। टैरिफ जैसे कदम केवल अस्थायी समाधान हो सकते हैं। स्थायी समाधान संवाद और सहयोग से ही संभव है

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