नेशनल मीट 2025: इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन बोले, विकसित भारत 2047 में अंतरिक्ष तकनीक की भूमिका निर्णायक
विकसित भारत 2047 और इसरो की भूमिका
“नई दिल्ली में आयोजित नेशनल मीट 2025 के उद्घाटन सत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष तकनीक अब केवल विज्ञान तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह नागरिकों के दैनिक जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है। उन्होंने ज़ोर दिया कि “विकसित भारत 2047” के लक्ष्य को हासिल करने में इसरो की भूमिका निर्णायक होगी।”
अंतरिक्ष तकनीक से बदल रहा है नागरिकों का जीवन
नारायणन ने बताया कि भारत में इस समय
55 से अधिक अंतरिक्ष अनुप्रयोग सक्रिय हैं। ये तकनीकें टेलीविजन प्रसारण से लेकर संचार, मौसम पूर्वानुमान, सुरक्षा और आपदा प्रबंधन तक हर क्षेत्र में काम आ रही हैं।
- उन्होंने कहा कि आज अंतरिक्ष तकनीक केवल वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह सीधे गांव-गांव तक सुविधा और सुरक्षा पहुंचा रही है।
- ग्रामीण इलाकों में मौसम की सही जानकारी और फसलों की निगरानी हो रही है।
- संचार उपग्रहों की वजह से दूरदराज़ के क्षेत्रों तक इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध कराया जा रहा है।
50 साल की यात्रा और बड़ी उपलब्धियां
अपने संबोधन में इसरो प्रमुख ने याद दिलाया कि
50 साल पहले भारत के पास कोई सैटेलाइट तकनीक नहीं थी, लेकिन आज देश उन चुनिंदा देशों में है जो सबसे उन्नत तकनीक विकसित कर चुके हैं।
- हाल ही में 30 जून को नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार सैटेलाइट (NISAR) लॉन्च किया गया।
- यह दुनिया का सबसे महंगा सैटेलाइट है और इसे इसरो ने न केवल तैयार किया बल्कि अपने रॉकेट से सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित भी किया।
इसरो के 100 लॉन्च और ऐतिहासिक उपलब्धियां
नारायणन ने
2025 की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि
29 जनवरी को इसरो ने अपना
100वां रॉकेट लॉन्च किया।
- भारत अब उन चार देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट को सफलतापूर्वक डॉक और अनडॉक किया है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में भारत ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में भेजा, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
- आज भारत के पास चंद्रमा की कक्षा में सबसे उन्नत कैमरा है, जो दुनिया को नई दिशा दे रहा है।
निजी क्षेत्र की भूमिका
इसरो अध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया कि विकसित भारत
2047 का सपना पूरा करने में निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स की अहम भूमिका होगी।
- इसरो अब केवल सरकारी प्रयासों पर निर्भर नहीं है।
- निजी कंपनियों की भागीदारी से लागत कम होगी और तकनीक का विस्तार तेज़ी से होगा।
- उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र वैश्विक सहयोग और निजी निवेश से और अधिक मज़बूत होगा।
मिशनों की रफ्तार दोगुनी
नारायणन ने बताया कि
2015 से
2025 के बीच इसरो ने जितने मिशन लॉन्च किए, वे
2005 से
2015 की तुलना में लगभग दोगुने हैं।
- इस दौरान कई बड़े मिशन पूरे किए गए।
- पिछले छह महीनों में इसरो ने तीन बड़े मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए।
- इनमें प्रतिष्ठित Axiom-4 मिशन भी शामिल है।
Axiom-4 मिशन और शुभांशु शुक्ला की सफलता
इसरो की उपलब्धियों में
Axiom-4 मिशन मील का पत्थर साबित हुआ।
- इस मिशन में भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा की।
- वे सुरक्षित लौटने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने।
- यह भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने दुनिया के सामने भारत की क्षमता को साबित किया।
विकसित भारत 2047: अंतरिक्ष तकनीक से नई दिशा
वी. नारायणन ने कहा कि इसरो केवल रॉकेट और सैटेलाइट बनाने तक सीमित नहीं है।
- अंतरिक्ष तकनीक से कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, संचार और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में बड़े बदलाव आएंगे।
- इससे भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने में मदद मिलेगी।
- उन्होंने भरोसा दिलाया कि इसरो इस सपने को साकार करने में पूरी ताकत से योगदान देगा।
विज्ञान से समाज तक
नारायणन का संदेश साफ था – विज्ञान का लक्ष्य केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित रहना नहीं है।
- असली सफलता तभी है जब तकनीक से नागरिकों का जीवन बेहतर बने।
- भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।