वक्फ संशोधन विधेयक 2025: पारदर्शिता, अधिकार और बदलाव की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम
वक्फ संशोधन विधेयक 2025: एक नजर बदलाव की जरूरत पर
वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवाद और अनियमितताओं के चलते सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को संसद में पारित किया। यह नया कानून अब “उम्मीद” (Unified Wakf Management Empowerment Efficiency and Development) के नाम से जाना जाएगा।
सरकार का उद्देश्य इस कानून के ज़रिए पारदर्शिता, महिलाओं की भागीदारी, और वित्तीय ईमानदारी सुनिश्चित करना है।
2013 का संशोधन: जहां से शुरुआत हुई अनियमितताओं की
2013 में वक्फ कानून में एक संशोधन हुआ, जिसने वक्फ बोर्ड को कई अनियंत्रित अधिकार प्रदान किए। उस संशोधन के बाद:
- वक्फ बोर्ड को किसी भी जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार मिला
- दिल्ली की 123 वीवीआईपी संपत्तियां वक्फ को सौंप दी गईं
- 18 लाख एकड़ से वक्फ भूमि 21 लाख एकड़ और बढ़ गई
यह सभी फैसले बिना पर्याप्त चर्चा और सार्वजनिक भागीदारी के लिए गए, जिससे कानूनी और सामाजिक विवाद गहराए।
वक्फ विवादों से उपजे ज़मीनी संघर्ष
1. थिरुचेंथुरई (तमिलनाडु) में किसान की पीड़ा:
किसान राजगोपाल अपनी बेटी की शादी के लिए जमीन बेचना चाहते थे, लेकिन वक्फ से NOC मांगे जाने पर उन्हें पता चला कि उनकी ही जमीन वक्फ की घोषित हो चुकी है।
2. बिहार का गोविंदपुर गांव:
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पूरे गांव पर दावा ठोक दिया। इससे सैकड़ों परिवारों का जीवन संकट में आ गया।
3. केरल और कर्नाटक में वक्फ का विस्तार:
केरल में 600 ईसाई परिवारों की पुश्तैनी जमीन और कर्नाटक के विजयपुरा की 15,000 एकड़ जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया, जिससे व्यापक विरोध हुआ।
वक्फ संशोधन विधेयक 2025: क्या है नए कानून में खास ?
1. वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण:
अब वक्फ रिकॉर्ड को डिजिटल पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाएगा ताकि सार्वजनिक निगरानी संभव हो।
2. वित्तीय पारदर्शिता:
ऑडिटिंग और अकाउंटिंग की अनिवार्यता से वित्तीय कुप्रबंधन पर लगाम लगेगी।
3. महिलाओं की भागीदारी:
मुस्लिम महिलाओं को वक्फ बोर्ड में प्रतिनिधित्व मिलेगा और विशेष योजनाएं जैसे छात्रवृत्ति, स्वास्थ्य सेवाएं, माइक्रोफाइनेंस और कौशल विकास चलाई जाएंगी।
गैर-मुस्लिम सदस्य: गलतफहमी का समाधान
विपक्ष ने आरोप लगाया कि इस कानून के माध्यम से गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में धार्मिक मामलों पर अधिकार मिलेगा। लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया कि:
- वक्फ बोर्ड में धार्मिक कार्यों से जुड़े पदों पर केवल मुस्लिम ही होंगे
- चैरिटी कमिश्नर का काम प्रशासनिक होगा, जिसमें किसी भी धर्म के व्यक्ति की नियुक्ति हो सकती है
अल्पसंख्यकों का हित सुरक्षित
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इस कानून का उद्देश्य किसी की धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रहार करना नहीं, बल्कि वक्फ संपत्तियों का सदुपयोग और संरक्षण सुनिश्चित करना है।
नए प्रावधानों में शामिल हैं:
- शिया और सुन्नी दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व
- बोहरा और अघाखानी समुदायों की भागीदारी
- पिछड़े मुस्लिम वर्गों को भी प्रतिनिधित्व
- स्थानीय शासन निकायों के निर्वाचित सदस्य भी बोर्ड में शामिल होंगे
महिलाओं के लिए सशक्तिकरण की योजनाएं
नए कानून में मुस्लिम महिलाओं के लिए कई सकारात्मक पहल की गई हैं:
- छात्रवृत्ति योजनाएं
- स्वास्थ्य सेवा और मातृत्व कल्याण कार्यक्रम
- व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र
- पेंशन योजनाएं विधवाओं के लिए
- स्वयं सहायता समूहों (SHG) के जरिए आर्थिक स्वतंत्रता
केंद्रित डिजिटल पोर्टल: एक नई शुरुआत
“उम्मीद” पोर्टल के जरिए:
- सभी वक्फ संपत्तियों का संपूर्ण डेटाबेस तैयार होगा
- अनियमितताओं पर जनता और मीडिया की नजर बनी रहेगी
- वक्फ फंड का सही दिशा में उपयोग सुनिश्चित होगा
विपक्ष के आरोप और सरकार का जवाब
विपक्ष इसे डर, भ्रम और तुष्टिकरण की राजनीति से जोड़ रहा है, लेकिन सरकार ने प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर दिया:
- 38 समितियों की बैठकें हुईं
- 113 घंटे चर्चा की गई
- 1 करोड़ से ज्यादा ऑनलाइन सुझाव मिले
- 284 हितधारकों से बातचीत हुई
नया कानून: पारदर्शिता का प्रतीक या राजनीति का शिकार ?
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लेकर एक बात साफ है – यह कानून वक्फ से जुड़ी संपत्तियों और उनके प्रबंधन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की दिशा में एक मजबूत कदम है।
सरकार का दावा है कि यह कानून न केवल मुस्लिम समाज बल्कि पूरे देश के हित में है। यदि सही तरीके से लागू किया गया, तो यह कानून महिलाओं, गरीबों और अल्पसंख्यकों के सशक्तिकरण में ऐतिहासिक भूमिका निभा सकता है।
