केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन बिल को लेकर संसद में बढ़ी हलचल
“वक्फ संशोधन बिल को लेकर भारतीय संसद में बहस तेज हो गई है। केंद्र सरकार इस बिल को आगे बढ़ाने की तैयारी में है। इसमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता को लेकर कुछ बड़े बदलाव प्रस्तावित हैं।”
JDU ने केंद्र को दिया समर्थन
जहां कई विपक्षी दल वक्फ संशोधन बिल का विरोध कर रहे हैं, वहीं जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने केंद्र सरकार के रुख का समर्थन किया है। JDU नेताओं का मानना है कि यह संशोधन वक्फ बोर्ड की पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाएगा।
JDU प्रवक्ता ने कहा कि, “यह बिल किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है। बल्कि यह वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और सही इस्तेमाल सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम है।”
TDP ने बिल पर उठाए सवाल
हालांकि, JDU के समर्थन के बाद यह माना जा रहा था कि बिल आसानी से पारित हो जाएगा, लेकिन तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने इस पर आपत्ति जताकर नया मोड़ ला दिया है।
TDP नेताओं का कहना है कि वक्फ संपत्तियों को लेकर राज्य सरकारों के अधिकारों में कटौती नहीं होनी चाहिए। उनका दावा है कि इस संशोधन से केंद्र को अतिरिक्त शक्ति मिल सकती है, जिससे स्थानीय संतुलन बिगड़ सकता है।
वक्फ संशोधन बिल: क्या हैं प्रमुख बिंदु?
वक्फ संशोधन बिल में कई अहम बदलाव प्रस्तावित हैं, जिनमें शामिल हैं:
- वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड
- संपत्तियों की अवैध कब्जे से रक्षा
- वक्फ बोर्डों की वित्तीय पारदर्शिता
- विवाद निपटारे के लिए विशेष न्यायाधिकरण
इन बिंदुओं का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना और धार्मिक संस्थानों में पारदर्शिता लाना है।
क्या कहता है संविधान और वक्फ कानून?
भारत के संविधान में धार्मिक संपत्तियों के संरक्षण की बात कही गई है। वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन होता है। इस संशोधन के जरिए केंद्र सरकार वक्फ प्रबंधन को अधिक पारदर्शी बनाना चाहती है।
वक्फ संशोधन बिल पर राजनीतिक समीकरण
- NDA में शामिल JDU का समर्थन केंद्र सरकार के लिए राहत का संकेत है।
- TDP की आपत्ति से बिल को राज्यसभा में समर्थन जुटाना मुश्किल हो सकता है।
- अन्य विपक्षी दल जैसे AIMIM और कांग्रेस ने भी पहले ही बिल पर नाराज़गी जताई थी।
इसलिए राजनीतिक स्तर पर वक्फ संशोधन बिल को पारित कराना अब केंद्र के लिए चुनौती बन सकता है।
