लोकसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक पारित किया: सुधार या अल्पसंख्यकों पर हमला ?
वक्फ संशोधन विधेयक: क्या है पूरा मामला ?
“लोकसभा ने 28 जुलाई 2023 को माराथन बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक पारित किया। 12 घंटे तक चली चर्चा के दौरान सरकार ने इसे सुधारात्मक कदम बताया, जबकि विपक्ष ने अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों पर हमला करार दिया। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण से जुड़े नियमों में बदलाव करता है।”
वक्फ संशोधन विधेयक के प्रमुख प्रावधान
1. वक्फ बोर्डों की शक्तियों में बदलाव
- राज्य वक्फ बोर्डों के अध्यक्षों का कार्यकाल 5 साल तक सीमित
- 75 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति पदधारी नहीं बन सकेंगे
- बोर्ड सदस्यों के चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता का प्रावधान
2. संपत्ति प्रबंधन में सुधार
- वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण की व्यवस्था
- जायदाद से जुड़े दस्तावेजों का केंद्रीय डेटाबेस तैयार करना
- अवैध कब्जे के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान
3. वित्तीय पारदर्शिता के नए नियम
- वक्फ आय के उपयोग पर निगरानी बढ़ाने का प्रस्ताव
- सालाना ऑडिट को अनिवार्य बनाया गया
- भ्रष्टाचार रोकने के लिए जवाबदेही तंत्र मजबूत किया गया
सरकार के तर्क: सुधार की जरूरत
1. वक्फ संपत्तियों का उचित उपयोग सुनिश्चित करना
कानून मंत्री ने बताया कि देशभर में 6 लाख एकड़ से अधिक वक्फ संपत्तियाँ हैं। इनका सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा था। नए नियमों से इन संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा।
2. पारदर्शिता और जवाबदेही लाना
सरकार का दावा है कि नए प्रावधानों से वक्फ प्रशासन में भ्रष्टाचार कम होगा। संपत्तियों के रिकॉर्ड डिजिटल होने से अवैध कब्जे रुकेंगे।
3. अल्पसंख्यक कल्याण को बढ़ावा
केंद्र सरकार ने जोर देकर कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के हित में है। संपत्तियों से होने वाली आय का उपयोग शिक्षा और सामाजिक विकास पर किया जाएगा।
विपक्ष की आपत्तियाँ: अल्पसंख्यक अधिकारों पर चोट
1. वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता खत्म होने का डर
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि नए नियमों से वक्फ बोर्ड सरकारी नियंत्रण में आ जाएंगे। इससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
2. संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन
TMC सांसद ने कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है। यह अनुच्छेद धार्मिक समूहों को अपनी संपत्ति प्रबंधित करने का अधिकार देता है।
3. राज्यों के अधिकारों में दखल
कुछ विपक्षी दलों ने इसे केंद्र का राज्यों के अधिकारों में अनावश्यक हस्तक्षेप बताया। उनका तर्क है कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन राज्य सरकारों के अधीन होना चाहिए।
विशेषज्ञों का विश्लेषण: क्या होगा प्रभाव?
1. वक्फ संपत्तियों का मूल्यांकन
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि डिजिटलीकरण से वक्फ संपत्तियों का सही मूल्यांकन हो सकेगा। वर्तमान में बहुत सी संपत्तियाँ कम मूल्य पर लीज पर दी जाती हैं।
2. सामाजिक विकास में मदद
समाजशास्त्रियों ने उम्मीद जताई कि अगर संपत्ति आय का सही उपयोग होगा, तो मुस्लिम समुदाय के शैक्षणिक संस्थानों को फायदा मिलेगा।
3. राजनीतिक प्रभाव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा 2024 के आम चुनावों में महत्वपूर्ण हो सकता है। विपक्ष इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ सरकार की मंशा के रूप में पेश कर सकता है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: वक्फ कानून का सफरनामा
1. ब्रिटिश काल में वक्फ प्रबंधन
अंग्रेजों ने 1923 में पहला वक्फ कानून बनाया था। उस समय वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन का अधिकार स्थानीय ट्रस्टियों के पास था।
2. स्वतंत्रता के बाद के विकास
1954 में पहला व्यापक वक्फ अधिनियम बना। 1995 में इसमें बड़े संशोधन हुए। नया विधेयक 1995 के अधिनियम में ही संशोधन करता है।
3. वक्फ संपत्तियों का वर्तमान स्थिति
देश में लगभग 8 लाख वक्फ संपत्तियाँ हैं। इनका कुल अनुमानित मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। लेकिन इनमें से बहुत सी संपत्तियाँ विवादों में फँसी हुई हैं।
सुधार और संरक्षण के बीच संतुलन की जरूरत
वक्फ संशोधन विधेयक पर बहस ने साफ कर दिया है कि यह मुद्दा सरकार और विपक्ष के बीच गहरे मतभेद पैदा करता है। एक तरफ जहाँ संपत्ति प्रबंधन में सुधार की सचमुच जरूरत है, वहीं अल्पसंख्यक समुदायों की चिंताएँ भी वाजिब हैं।
सरकार को चाहिए कि वह विपक्ष और मुस्लिम नेताओं की आशंकाओं को दूर करे। वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता बनाए रखते हुए पारदर्शिता लाने का रास्ता निकाला जा सकता है। अंततः, इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के माध्यम से मुस्लिम समुदाय का कल्याण सुनिश्चित करना होना चाहिए।
