वक्फ विधेयक पर सोनिया गांधी की टिप्पणी पर बिरला ने जताई आपत्ति, कांग्रेस बोली- संसद बन गई है मोदी का दरबार
वक्फ विधेयक पर संसद में राजनीतिक घमासान
“वक्फ विधेयक विवाद एक बार फिर संसद की गरिमा और राजनीतिक संवाद पर सवाल उठा रहा है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वक्फ संशोधन विधेयक को जबरन पारित कराने का आरोप लगाया। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह टिप्पणी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान है।“
क्या कहा सोनिया गांधी ने ?
कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक को बलपूर्वक पास किया गया।
उन्होंने इसे भारतीय संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर “स्पष्ट हमला” बताया।
सोनिया का यह भी कहना था कि सरकार समाज को स्थायी रूप से ध्रुवीकृत करने की दिशा में बढ़ रही है।
ओम बिरला की प्रतिक्रिया: ‘लोकतंत्र की गरिमा को ठेस
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोनिया गांधी की टिप्पणी को “दुर्भाग्यपूर्ण और निराधार” बताया।
उन्होंने कहा कि वक्फ विधेयक पर 14 घंटे से अधिक चर्चा हुई और तीन बार मतदान हुआ।
बिरला ने यह भी कहा कि सभी नियमों के तहत विधेयक पारित हुआ, इसे ‘बलपूर्वक पारित’ कहना गलत है।
वक्फ विधेयक क्या है ?
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 भारत की वक्फ संपत्तियों से संबंधित है।
इसमें वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति, संपत्तियों की स्वामित्व पुष्टि में सरकार की भूमिका और पारदर्शिता बढ़ाने जैसे प्रावधान शामिल हैं।
हालांकि, विपक्ष इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला मानता है।
कांग्रेस का पलटवार: ‘अब संसद मोदी का दरबार बन गई
कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा कि संसद अब ‘मोदी का दरबार’ बन चुकी है।
यहां केवल प्रधानमंत्री की प्रशंसा की जाती है और विरोध की कोई जगह नहीं बची है।
उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष को दबाने और संसदीय मर्यादाओं को नजरअंदाज करने की यह रणनीति लोकतंत्र के लिए खतरा है।
भाजपा की सफाई: विपक्ष के आरोप झूठे
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष संसद की गरिमा को नुकसान पहुंचा रहा है।
उन्होंने बताया कि राज्यसभा में इस विधेयक पर 17 घंटे से अधिक चर्चा हुई, जो अपने आप में रिकॉर्ड है।
रिजिजू ने सोनिया गांधी के आरोपों को राजनीतिक स्टंट करार दिया।
वक्फ विधेयक विवाद क्यों बन रहा है मुद्दा ?
- कांग्रेस का आरोप: सरकार संसद में बहस से बचती है।
- भाजपा का दावा: विपक्ष मुद्दों को गलत दिशा में मोड़ता है।
- मुस्लिम संगठनों की चिंता: इस कानून से धार्मिक अधिकारों पर असर पड़ सकता है।
वक्फ विधेयक सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि संसद में शक्ति संतुलन और संवाद की गुणवत्ता का प्रश्न बन चुका है।
संसद में संवाद का संकट ?
हाल के वर्षों में संसद में बहस और चर्चा की जगह राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ने ले ली है।
सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच की खाई दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।
लोकतंत्र की ताकत संवाद, सहमति और सहयोग में होती है, लेकिन आज संसद में इन मूल्यों का अभाव दिखाई देता है।