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भारत में पवन ऊर्जा: नवीकरणीय क्रांति की दिशा में केंद्रित कदम

"भारत में पवन ऊर्जा आज केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि नवीकरणीय ऊर्जा नीति की धुरी बन गई है। वैश्विक पवन दिवस 2025 के अवसर पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बेंगलुरु में आयोजित एक सम्मेलन में स्पष्ट किया कि पवन ऊर्जा आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में एक अहम कड़ी है।"


2030 और 2070 के लिए स्पष्ट लक्ष्य

केंद्रीय मंत्री ने दो प्रमुख राष्ट्रीय लक्ष्यों को दोहराया:

  • 2030 तक बिजली उत्पादन का 50% गैर-जीवाश्म स्रोतों से
  • 2070 तक शुद्ध-शून्य (Net Zero) कार्बन उत्सर्जन

इन दोनों लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत में पवन ऊर्जा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण बताई गई है।


भारत की पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता: एक वैश्विक दृष्टिकोण

प्रल्हाद जोशी ने बताया कि भारत:

  • चौथी सबसे बड़ी स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता वाला देश है
  • तीसरा सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा उत्पादक बन चुका है

उन्होंने गर्व से कहा कि 14 कंपनियां 33 मॉडलों के पवन टर्बाइन बना रही हैं, जिनकी क्षमता 225 kW से लेकर 5.2 MW तक है। ये न केवल घरेलू ज़रूरतों को पूरा करते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी हैं।


2025 के लिए सरकार की 5 रणनीतिक प्राथमिकताएं

1. नए राज्यों में विस्तार

मध्य प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों में पवन ऊर्जा की नई संभावनाएं तलाशी जाएंगी।

2. अपतटीय (Offshore) क्षेत्रों की शुरुआत

गुजरात और तमिलनाडु में 4 GW लीजिंग ज़ोन की पहचान की गई है। जल्द ही निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी।

3. ऊर्जा भंडारण के साथ एकीकरण

चौबीसों घंटे चलने वाली हरित ऊर्जा रणनीति को लागू करने के लिए पवन ऊर्जा को स्टोरेज सिस्टम से जोड़ा जाएगा।

4. स्मार्ट ग्रिड और एआई पूर्वानुमान

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित प्रणाली का उपयोग कर नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति को स्थिर और सटीक बनाया जाएगा।

5. स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा

पवन ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्थानीय निर्माण को प्रोत्साहन दिया जाएगा।


बजट में भारी बढ़ोतरी: सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण

भारत सरकार ने 2025 के लिए अक्षय ऊर्जा बजट में 53% वृद्धि की है, जो कि 26,549 करोड़ रुपये है। इसमें पवन ऊर्जा को एक बड़ा हिस्सा दिया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस क्षेत्र को पूरी गंभीरता से समर्थन दे रही है।


कार्य नहीं, अब क्रियान्वयन का समय है

जोशी ने कहा, “यह संकोच का समय नहीं है, यह कार्यान्वयन का समय है।” उन्होंने राज्यों से भूमि उपलब्धता और ट्रांसमिशन से जुड़ी बाधाओं को दूर करने की अपील की, ताकि योजनाएं जमीन पर उतर सकें।


पवन ऊर्जा विकास में अग्रणी राज्य

सम्मेलन में पवन ऊर्जा क्षमता वृद्धि में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले राज्यों को सम्मानित किया गया:

  • कर्नाटक: 1331.48 मेगावाट (1st)
  • तमिलनाडु: 1136.37 मेगावाट (2nd)
  • गुजरात: 954.76 मेगावाट (3rd)

रिपोर्ट लॉन्च: पवन ऊर्जा रूपरेखा और विनिर्माण योजना

सम्मेलन में “पवन ऊर्जा रूपरेखा” और “विनिर्माण कार्य योजना” नामक दो महत्वपूर्ण रिपोर्ट भी जारी की गईं। मंत्री ने कहा कि ये दस्तावेज़ राष्ट्रीय मार्गदर्शक ढांचा होंगे, जिससे आत्मनिर्भर और टिकाऊ पवन ऊर्जा इकोसिस्टम बन सकेगा।


भारत में पवन ऊर्जा की वैश्विक संभावनाएं

  • भारत की भौगोलिक विविधता पवन ऊर्जा को बेहतर बनाती है।
  • थार रेगिस्तान, गुजरात का तटीय क्षेत्र और दक्षिण भारत के पहाड़ी क्षेत्र इसके लिए आदर्श हैं।
  • पवन ऊर्जा एक्सपोर्ट हब बनने की पूरी क्षमता भारत में है।

"भारत में पवन ऊर्जा अब केवल एक पर्यावरणीय समाधान नहीं, बल्कि आर्थिक, रणनीतिक और तकनीकी क्रांति का हिस्सा बन चुकी है। प्रल्हाद जोशी के शब्दों में—“यह ऊर्जा संक्रमण अपरिहार्य है, और हमें मिलकर इसे साकार करना है।”"


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