दिल्ली: यमुना में रिकॉर्ड स्तर पर फीकल कोलीफॉर्म प्रदूषण, ITO और ISBT पुल के पास हालात बेहद गंभीर
यमुना में रिकॉर्ड प्रदूषण: ITO और ISBT पुल के समीप फीकल कोलीफॉर्म स्तर गंभीर, विशेषज्ञों ने मांगी जांच
“‘नई दिल्ली – नेशनल कैपिटल टेरिटोरी दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषण इतिहास में सबसे खतरनाक स्तर तक पहुँच चुका है। ITO बैराज और ISBT पुल के चारों ओर यमुना का जल इस तरह दूषित हो गया है कि उसमें जीवाणु प्रदूषण (फीकल कोलीफॉर्म) रिकॉर्ड 92 लाख एमपीएन प्रति 100 मि.ली. दर्ज हुआ है। यह खुलासा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की जुलाई 2025 की रिपोर्ट में हुआ है। विशेषज्ञों ने इसे “स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए आपात स्थिति” करार दिया है और सरकार से जांच और त्वरित कार्रवाई की मांग की है।”
फीकल कोलीफॉर्म क्या है और जानकर क्यों है खतरनाक?
फीकल कोलीफॉर्म एक प्रकार का जीवाणु है जो इंसानों और जानवरों के मल से आता है। इसका उच्च स्तर संकेत देता है कि:
- मानव मल-मूत्र मिला है पानी में
- इस पानी को पीने, स्नान, और किसी भी संपर्क के लिए न}युक्त है
- इसके कारण टाइफाइड, हैजा, डायरिया जैसी बीमारियों का खतरा होता है
- सुरक्षित सीमा: 500 MPN/100 मि.ली
- ITO पुल पर दर्ज हुआ: 92,00,000 MPN/100 मि.ली
जुलाई 2025 DPCC रिपोर्ट के प्रमुख आंकड़े:
स्थान | BOD (mg/L) | DO (mg/L) | फीकल कोलीफॉर्म (MPN/100 mL) |
---|---|---|---|
पल्ला | 8 | 4.4 | 2,700 |
वजीराबाद | 11 | 3.4 | 3,900 |
ISBT पुल | 47 | 0 | 28,00,000 |
ITO पुल | 70 | 0 | 92,00,000 |
निजामुद्दीन पुल | 74 | 0 | 11,00,000 |
ओखला बैराज | 46 | 0 | 22,00,000 |
आगरा नहर | 40 | 0 | 21,00,000 |
असगरपुर | 24 | 0.9 | 79,000 |
क्यों बढ़ रहा है यमुना में फीकल कोलीफॉर्म?
विशेषज्ञों के मुताबिक मुख्य कारण:
- नालों की सफाई के बाद सीधा गंदा पानी नदी में बहना
- वर्षा के कारण मल-मूत्र बहकर यमुना में मिल जाना
- नदी किनारे खुले में शौच
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का अक्षम संचालन या अपग्रेडेशन में देरी
विशेषज्ञों की चेतावनी
डॉ. अनिल गुप्ता, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सदस्य:
“ITO घाट पर धार्मिक होते हैं। यहां इतने खतरनाक स्तर का प्रदूषण जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। सरकार को तत्काल जांच और नियंत्रण उपाय करने चाहिए।”
पिछले महीनों की तुलना में खतरनाक वृद्धि
तारीख | ITO पुल पर फीकल कोलीफॉर्म स्तर |
---|---|
25 जून 2024 | 24 लाख |
29 जुलाई 2024 | 24 हजार |
16 जून 2025 | 35 लाख |
जुलाई 2025 (अब) | 92 लाख |
इस तेज और असमान्य वृद्धि को विशेषज्ञ "अलार्मिंग ट्रेंड" कह रहे हैं।
यमुना प्रदूषण स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक
स्वास्थ्य खतरे:
- जलजनित बीमारियों में वृद्धि
- बच्चों और बुजुर्गों के लिए अधिक कर सकता है मरना
- नदी में नहाने, पूजा, विसर्जन से संक्रमण का खतरा हो सकता है
पर्यावरणीय प्रभाव:
- ऑक्सीजन की कमी (0 DO) से जलीय जीवन समाप्त हो सकता है
- जैव विविधता का नाश हो सकता है
- नदी पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह संतुलन से बाहर
क्या दिल्ली सरकार और DPCC को करना चाहिए?
- STP का तत्काल अपग्रेडेशन और मॉनिटरिंग
- शौचालय जाने के लिए सभी खुले नालों को रिडायरेक्ट करके ट्रीटमेंट में भेजना
- किनारे नदी खुले में शौच की सख्त निगरानी और बंदी
- पब्लिक अवेयरनेस और चेतावनी बोर्ड की स्थापना
- DPCC की रिपोर्ट नियमित रूप से सार्वजनिक करना
“यमुना फीकल कोलीफॉर्म प्रदूषण दिल्ली का यह संकट नदी का ही नहीं, बल्कि राजधानी का स्वास्थ्य और प्राकृतिक पर्यावरण सुरक्षा का प्रश्न है। अगर अभी भी दिल्ली सरकार और प्रशासन ने कठोर कदम नहीं उठाए, तो यह स्थिति भविष्य में और भी खतरनाक हो सकती है। ITO और ISBT जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में यह संकट अत्यंत गंभीर चेतावनी है।”