अल्मोड़ा हादसा – सिस्टम की नाकामी उजागर! बदहाल 37 सीटर बस में 63 सवार, सड़क सुरक्षा के इंतजाम नदारद
अल्मोड़ा में हाल ही में हुए दर्दनाक बस हादसे ने उत्तराखंड के परिवहन और सड़क सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। इस हादसे में एक 37-सीटर बस में 63 यात्री सवार थे, जो क्षमता से लगभग दोगुना था। खराब सड़कों और अनदेखी नियमों के कारण यह दुर्घटना घटी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए। इस घटना ने एक बार फिर से राज्य में सार्वजनिक परिवहन और सड़क सुरक्षा के प्रति अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बस की खस्ताहाल स्थिति और ओवरलोडिंग की समस्या
हादसे के समय बस की स्थिति बेहद जर्जर थी, और इसमें क्षमता से अधिक यात्री भरे हुए थे। 37-सीटर बस में 63 यात्रियों का सफर करना न केवल गैरकानूनी है बल्कि जानलेवा भी है। यात्रियों के अनुसार, बस की स्थिति खराब थी और नियमित रखरखाव की कमी के कारण यह दुर्घटना घटित हुई। इससे साफ है कि बस मालिकों और संचालकों द्वारा मुनाफे के लिए नियमों की अनदेखी की जा रही है।
सड़क सुरक्षा के इंतजामों की कमी
अल्मोड़ा जैसी पहाड़ी इलाकों में सड़क सुरक्षा के विशेष इंतजाम होने चाहिए, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। अधिकांश सड़कों पर सुरक्षा बैरियर नहीं हैं, और घुमावदार रास्तों पर संकेतक भी नदारद हैं। पहाड़ी इलाकों में सड़कें अक्सर संकरी और खस्ताहाल होती हैं, जिससे दुर्घटना का खतरा और बढ़ जाता है। हादसे के समय भी सड़क पर कोई सुरक्षा बैरियर नहीं था, जो दुर्घटना को रोकने में सहायक हो सकता था।
प्रशासनिक लापरवाही और सिस्टम की नाकामी
इस हादसे ने प्रशासनिक ढांचे और परिवहन व्यवस्था की नाकामी को एक बार फिर से उजागर किया है। बसों की नियमित जांच और ओवरलोडिंग पर सख्ती के लिए नियम तो हैं, लेकिन उनका पालन नहीं हो रहा। राज्य सरकार और परिवहन विभाग की ओर से सख्त कार्रवाई की कमी, सड़कों की स्थिति और वाहनों की खराब हालत को सुधारने में नाकाम रही है। हादसे के बाद प्रशासनिक अधिकारी सक्रिय तो हो जाते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में स्थिति फिर पहले जैसी हो जाती है।
यात्रियों की सुरक्षा कैसे हो सकती है?
यात्रियों की सुरक्षा के लिए सबसे जरूरी है कि ओवरलोडिंग पर सख्ती से रोक लगाई जाए और बसों की नियमित जांच सुनिश्चित की जाए। सड़कों पर सुरक्षा बैरियर्स और संकेतकों की व्यवस्था की जानी चाहिए, खासकर उन स्थानों पर जहां दुर्घटनाओं का अधिक खतरा रहता है। इसके साथ ही, परिवहन विभाग को ऐसे क्षेत्रों में सुरक्षात्मक उपायों के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी और नियमों का सख्ती से पालन करवाना होगा।