उत्तराखण्ड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना का आज से संचालन शुरू
“उत्तराखंड में जलवायु अनुकूल कृषि: विश्व बैंक परियोजना की शुरुआत”
प्रदेश के चयनित सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों में पर्वतीय कृषि को लाभदायक और ग्रीन हाउस गैस न्यूनीकरण के लिए सक्षम बनाने के लिए शक्तिशाली उत्पादन प्रणाली विकसित की जा रही है।
इसके तहत विश्व बैंक पोषित उत्तराखण्ड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना का जलागम विभाग द्वारा आज से संचालन किया जा रहा है। यह बात प्रदेश के जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने आज देहरादून स्थित भारतीय अनुसंधान संस्थान में आयोजित उत्तराखंड जलवायु अनूकूल बारानी कृषि परियोजना कार्यशाला में कही।
जलागम मंत्री ने इस कार्य के लिए उत्तराखंड का चुनाव करने पर केंद्र सरकार और विश्व बैंक का आभार जताया। उन्होंने कहा कि 6 वर्षीय यह परियोजना प्रदेश के चयनित 8 जिलों में शुरू की जायेगी। इस परियोजना से 519 ग्राम पंचायतों की 3 लाख 7 हजार जनसंख्या को लाभ मिलेगा।
यह पहली ऐसी परियोजना है जो जलवायु परिवर्तन से कृषि क्षेत्र में हो रहे प्रभावों को कम करने के लिए विभिन्न जलवायु अनुकूल कृषि प्रणालियों को परियोजना क्षेत्र के तहत मॉडल रूप में विकसित करेगी। पर्वतीय क्षेत्रों में जन जीवन के लिए जल स्रोतों की भूमिका का उल्लेख करते हुए सतपाल महाराज ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से प्रदेश में जो जल स्रोत सर्वाधिक प्रभावित हो रहे हैं, उनमें जल उपलब्धता में वृद्धि और इनके सतत प्रबन्धन के लिए स्प्रिंगशैड प्रबंधन योजना की अवधारणा के अनुरूप कार्य किया जायेगा।
इस परियोजना की महत्वपूर्ण बात यह है कि कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के ख्याति प्राप्त राष्ट्रीय व प्रादेशिक संस्थान कंसोर्टियम पार्टनर्स के रूप में उत्तराखंड से जुड़ेंगे और इन संस्थाओं के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई तकनीक का प्रयोग इस परियोजना के अंतर्गत किया जाएगा।
प्रदेश के चयनित सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों में पर्वतीय कृषि को लाभदायक और ग्रीन हाउस गैस न्यूनीकरण के लिए सक्षम बनाने के लिए शक्तिशाली उत्पादन प्रणाली विकसित की जा रही है। इसके तहत विश्व बैंक पोषित उत्तराखण्ड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना का जलागम विभाग द्वारा आज से संचालन किया जा रहा है।
यह बात प्रदेश के जलागम मंत्री सतपाल महाराज ने आज देहरादून स्थित भारतीय अनुसंधान संस्थान में आयोजित उत्तराखंड जलवायु अनूकूल बारानी कृषि परियोजना कार्यशाला में कही। जलागम मंत्री ने इस कार्य के लिए उत्तराखंड का चुनाव करने पर केंद्र सरकार और विश्व बैंक का आभार जताया। उन्होंने कहा कि 6 वर्षीय यह परियोजना प्रदेश के चयनित 8 जिलों में शुरू की जायेगी। इस परियोजना से 519 ग्राम पंचायतों की 3 लाख 7 हजार जनसंख्या को लाभ मिलेगा।
यह पहली ऐसी परियोजना है जो जलवायु परिवर्तन से कृषि क्षेत्र में हो रहे प्रभावों को कम करने के लिए विभिन्न जलवायु अनुकूल कृषि प्रणालियों को परियोजना क्षेत्र के तहत मॉडल रूप में विकसित करेगी। पर्वतीय क्षेत्रों में जन जीवन के लिए जल स्रोतों की भूमिका का उल्लेख करते हुए सतपाल महाराज ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से प्रदेश में जो जल स्रोत सर्वाधिक प्रभावित हो रहे हैं, उनमें जल उपलब्धता में वृद्धि और इनके सतत प्रबन्धन के लिए स्प्रिंगशैड प्रबंधन योजना की अवधारणा के अनुरूप कार्य किया जायेगा।
इस परियोजना की महत्वपूर्ण बात यह है कि कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के ख्याति प्राप्त राष्ट्रीय व प्रादेशिक संस्थान कंसोर्टियम पार्टनर्स के रूप में उत्तराखंड से जुड़ेंगे और इन संस्थाओं के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई तकनीक का प्रयोग इस परियोजना के अंतर्गत किया जाएगा।