स्वास्थ्य

न प्रोटीन का पता, न विटामिन की खबर, फिर भी 5 फूड खाकर तगड़े बने हमारे पूर्वज, खाने में आता था मजा

आज के समय में हम प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों की जानकारी रखते हैं, लेकिन हमारे पूर्वजों के पास न तो इन चीजों का ज्ञान था और न ही कोई सप्लीमेंट। इसके बावजूद वे शारीरिक रूप से मजबूत और स्वस्थ रहते थे। उनकी सेहत का राज उन पारंपरिक खाद्य पदार्थों में छिपा था, जिनसे न केवल उन्हें भरपूर ऊर्जा मिलती थी, बल्कि इनसे वे लंबी उम्र तक स्वस्थ भी रहते थे। आइए जानते हैं उन 5 प्रमुख खाद्य पदार्थों के बारे में, जो हमारे पूर्वजों की ताकत का राज थे और जिनका स्वाद आज भी उतना ही मजेदार है।

मुख्य खबर:
हमारे पूर्वजों के पास न आधुनिक विज्ञान था और न ही किसी पोषण विशेषज्ञ की सलाह, फिर भी उनका खानपान ऐसा था कि वे शारीरिक रूप से तंदुरुस्त रहते थे। यह सब उनके प्राकृतिक आहार का हिस्सा था, जो सीधे तौर पर प्रकृति से आता था और उसमें किसी प्रकार का प्रसंस्करण नहीं होता था। उन्होंने सादगी से भरे इन पारंपरिक खाद्य पदार्थों से अपनी सेहत बनाई, जिन्हें आज के समय में सुपरफूड्स कहा जा सकता है। यहां उन 5 प्रमुख खाद्य पदार्थों पर नजर डालते हैं, जो हमारे पूर्वजों की ताकत का राज थे।

1. बाजरा (Millets):
बाजरा, ज्वार, रागी जैसे मोटे अनाज प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वजों के भोजन का अहम हिस्सा रहे हैं। ये अनाज न केवल सस्ते और आसानी से मिलने वाले होते थे, बल्कि इनमें फाइबर, आयरन और प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में होते थे। बाजरे से बनी रोटी और खिचड़ी जैसे व्यंजन उन दिनों आमतौर पर खाए जाते थे, जो शरीर को ताकत देते थे और पेट को लंबे समय तक भरा रखते थे। बाजरे की खास बात यह थी कि यह आसानी से पचता था और शरीर को जरूरी पोषण भी देता था।

2. देसी घी (Clarified Butter):
देसी घी हमारे पूर्वजों के भोजन का एक अनिवार्य हिस्सा था। घी से बनी चपाती, पराठे और यहां तक कि दाल में भी घी का इस्तेमाल किया जाता था। घी को ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत माना जाता था, और यह शरीर को ताकत देने के साथ-साथ मानसिक शांति भी प्रदान करता था। आजकल जहां लोग घी से दूर भागते हैं, वहीं हमारे पूर्वज इसे अपनी सेहत का मुख्य हिस्सा मानते थे। देसी घी में मौजूद अच्छे फैट्स शरीर के लिए फायदेमंद होते थे और यह हड्डियों को भी मजबूत बनाता था।

3. दाल (Lentils):
दालें प्रोटीन का सबसे प्रमुख स्रोत थीं, और हमारे पूर्वजों के भोजन में इन्हें एक विशेष स्थान प्राप्त था। अरहर, मूंग, मसूर और चना जैसी दालों को रोजाना के भोजन में शामिल किया जाता था। ये न केवल प्रोटीन का अच्छा स्रोत थीं, बल्कि इनमें आयरन और फाइबर की भी भरपूर मात्रा होती थी, जिससे शरीर को संपूर्ण पोषण मिलता था। दालें हल्की होती थीं और इन्हें बनाना भी आसान था, जिससे ये हर घर का एक महत्वपूर्ण भोजन बन गई थीं।

4. साग-सब्जियां (Green Vegetables):
पत्तेदार सब्जियां जैसे सरसों का साग, पालक, मेथी और अन्य देसी सब्जियां हमारे पूर्वजों के आहार में खास स्थान रखती थीं। ये सब्जियां बिना किसी केमिकल या कृत्रिम खाद के उगाई जाती थीं, जिससे उनमें विटामिन्स और मिनरल्स की प्रचुरता होती थी। साग के साथ बनी मक्के की रोटी या बाजरे की रोटी से पेट भर जाता था और शरीर को ताकत भी मिलती थी। साग-सब्जियों को सादा तरीके से पकाया जाता था, जिससे उनका पोषण बना रहता था।

5. दही (Curd):
दही हमारे पूर्वजों के भोजन का अहम हिस्सा था। यह न केवल पाचन को बेहतर बनाता था, बल्कि शरीर को ठंडक और ताजगी भी प्रदान करता था। दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स आंतों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। ग्रामीण इलाकों में आज भी दही का सेवन प्रमुख रूप से किया जाता है। इसे खाने से शरीर को प्राकृतिक कैल्शियम और विटामिन्स मिलते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बेहतर करते हैं।

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