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बांगलादेश के संस्थापक का नाम मिटाने में जुटे मोहम्मद यूनुस: राष्ट्रपति भवन से शेख मुजीब की फोटो हटाई, लोग हैरान

बांगलादेश के संस्थापक, बांगबांधू शेख मुजीबुर्रहमान की छवि को मिटाने के प्रयासों को लेकर विवाद गहरा गया है। बांगलादेश के जाने-माने अर्थशास्त्री और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने राष्ट्रपति भवन से शेख मुजीब की एक प्रमुख तस्वीर को हटवा दिया, जिससे बांगलादेश में एक नई राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। इस कदम ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि आम जनता में भी खासी नाराजगी फैल गई है।

शेख मुजीब की तस्वीर को हटाने की वजह

बताया जा रहा है कि मोहम्मद यूनुस ने राष्ट्रपति भवन के भीतर शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर को हटवाने का आदेश दिया, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह कदम बांगलादेश के संस्थापक के खिलाफ किसी तरह की नफरत या विरोध का प्रतीक है। हालांकि यूनुस ने इसे एक सामान्य प्रशासनिक परिवर्तन बताया है, लेकिन कई राजनीतिक विश्लेषक इसे राजनीतिक बयान के रूप में देख रहे हैं।

बांगलादेश की जनता की प्रतिक्रिया

यूनुस के इस कदम के बाद बांगलादेश की जनता में नाराजगी का माहौल है। सोशल मीडिया पर लोग इस कदम की आलोचना कर रहे हैं और इसे बांगलादेश के इतिहास को नकारने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं। कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस कदम की निंदा की है, यह कहते हुए कि शेख मुजीब की तस्वीर को हटाना बांगलादेश के स्वतंत्रता संग्राम और उसकी पहचान को नष्ट करने की कोशिश है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

मोहम्मद यूनुस और बांगलादेश की मौजूदा सरकार के बीच पहले भी तनाव रहे हैं। यूनुस, जिन्होंने अपने संगठन “ग्रameen बैंक” के जरिए ग्रामीण विकास के लिए कई पुरस्कार जीते हैं, पिछले कुछ समय से बांगलादेश की राजनीति से बाहर रहकर अपने कामों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। लेकिन इस कदम से यह सवाल उठ रहा है कि क्या यूनुस अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पुनः जीवित करना चाहते हैं और क्या वे बांगलादेश के संस्थापक की विरासत को चुनौती दे रहे हैं।

शेख मुजीब का महत्व

शेख मुजीबुर्रहमान, जिन्हें बांगलादेश में “बांगबांधू” (राष्ट्रपिता) के नाम से जाना जाता है, ने 1971 में बांगलादेश के स्वतंत्रता संग्राम की अगुवाई की थी। उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष की वजह से ही बांगलादेश आज एक स्वतंत्र राष्ट्र है। उनके योगदान को कभी नकारा नहीं जा सकता, और उनकी तस्वीरें देश के विभिन्न हिस्सों में उनकी श्रद्धा और सम्मान के प्रतीक के रूप में प्रदर्शित की जाती हैं।

भविष्य की संभावनाएं

मोहम्मद यूनुस का यह कदम बांगलादेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर सकता है। आने वाले दिनों में, इस मुद्दे पर और अधिक विवाद उठ सकता है, खासकर अगर सरकार इस पर अपनी प्रतिक्रिया देती है। इसके अलावा, यह सवाल भी उठ सकता है कि क्या यूनुस की यह कार्रवाई उनके राजनीतिक इरादों को स्पष्ट करती है और क्या वे किसी नए राजनीतिक अभियान की शुरुआत कर रहे हैं।

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