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रूस के साथ बढ़ रहा भारत का कारोबार, लेकिन… एस जयशंकर ने बताई 10 बातें, जिनका ध्यान रखना जरूरी

भारत और रूस के बीच आर्थिक और व्यापारिक रिश्तों में तेजी से वृद्धि हो रही है, खासकर ऊर्जा, रक्षा, और खनिज जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में। लेकिन, इसके साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में इस बढ़ते कारोबार के बीच कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने की सलाह दी है। उन्होंने इस रिश्ते को सशक्त बनाने के लिए 10 ऐसे पहलुओं का उल्लेख किया, जिनका ध्यान रखना भारत के लिए आवश्यक है, ताकि यह साझेदारी सही दिशा में आगे बढ़े और किसी भी प्रकार की असहमति से बचा जा सके।

1. रक्षा सहयोग की महत्वता

एस जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग सदियों पुराना है, और यह संबंध दोनों देशों के लिए रणनीतिक दृष्टि से अहम है। भारत को अपने रक्षा संबंधों को इस साझेदारी में और मजबूत करना होगा, लेकिन यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों के अनुरूप हो।

2. ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी

भारत ने रूस से ऊर्जा आयात को बढ़ाया है, खासकर तेल और गैस के क्षेत्र में। जयशंकर ने कहा कि यह साझेदारी मजबूत हो सकती है, लेकिन भारत को वैश्विक ऊर्जा बाजार की बदलती परिस्थितियों और आपूर्ति सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा।

3. आर्थिक विविधता पर ध्यान

भारत को अपनी व्यापारिक साझेदारी को केवल ऊर्जा और रक्षा तक सीमित नहीं रखना चाहिए। एस जयशंकर ने कृषि, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भी रूस के साथ अधिक सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

4. संभावित अंतरराष्ट्रीय दबावों से बचाव

रूस के साथ भारत के बढ़ते रिश्तों के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव आ सकता है, विशेष रूप से पश्चिमी देशों से। विदेश मंत्री ने इस दबाव को संतुलित करने और भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने पर जोर दिया।

5. वित्तीय संस्थाओं का समर्थन

रूस से व्यापार बढ़ाने के लिए भारतीय वित्तीय संस्थाओं को बेहतर कार्यप्रणाली और निवेश प्रोत्साहन की आवश्यकता है। जयशंकर ने कहा कि भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को रूस में अधिक सक्रियता दिखानी होगी।

6. वैश्विक सुरक्षा चुनौतियां

रूस के साथ बढ़ते संबंधों के साथ-साथ वैश्विक सुरक्षा चुनौती भी बनी रहती है। भारत को रूस के साथ अपने सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करनी होगी, लेकिन इस दौरान उसे अन्य वैश्विक शक्ति संतुलन को भी ध्यान में रखना होगा।

7. सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का सहयोग

एस जयशंकर ने कहा कि भारतीय निजी कंपनियों को भी रूस के साथ व्यापारिक साझेदारी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों के लिए फायदेमंद होगा।

8. राजनयिक रिश्तों का संतुलन

भारत और रूस के बीच मजबूत राजनीतिक और राजनयिक रिश्तों की स्थापना आवश्यक है, लेकिन यह अन्य देशों के साथ रिश्तों पर असर डाले बिना होना चाहिए। जयशंकर ने यह सुनिश्चित करने की बात कही कि भारत का रूस के साथ संबंध पूरी दुनिया के लिए एक सकारात्मक उदाहरण बने।

9. विपणन और व्यापारिक चैनल का विस्तार

रूस से अधिक व्यापारिक समझौतों के लिए भारत को अपने विपणन और वितरण नेटवर्क का विस्तार करना होगा। विशेषकर रूस के दूरदराज क्षेत्रों में भारतीय उत्पादों को पहुंचाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिसे हल करने के लिए कड़ी रणनीति की आवश्यकता है।

10. संस्कृतिक और शैक्षिक संबंधों का विकास

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत को रूस के साथ सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंधों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों की नींव और मजबूत होगी और व्यापारिक साझेदारी में भी वृद्धि हो सकेगी।

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