सपा नेता के इस पोस्टर पर भाजपा ने तंज कसा, शहजाद पूनावाला ने कहा- अखिलेश यादव राहुल गांधी को एक सीट के लायक भी नहीं समझते, सपा के लोग उन्हें अर्जुन बता रहे हैं
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के एक पोस्टर ने तूल पकड़ लिया है, जिसे लेकर भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने तंज कसा है। इस पोस्टर में सपा ने अपने नेता अखिलेश यादव को राहुल गांधी के साथ जोड़ते हुए उन्हें अर्जुन की उपमा दी है। भाजपा के नेताओं ने इस पोस्टर को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है, और यह विवाद अब राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
सपा पोस्टर में राहुल गांधी को अर्जुन के रूप में पेश किया
सपा द्वारा जारी किए गए पोस्टर में अखिलेश यादव और राहुल गांधी को एक साथ दिखाया गया है, और राहुल गांधी को अर्जुन की उपमा दी गई है, जबकि अखिलेश यादव को उनके मार्गदर्शक और प्रेरक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस पोस्टर के जरिये सपा यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी नया दिशा पा रही है और अखिलेश यादव उसे मार्गदर्शन दे रहे हैं।
भाजपा नेता शहजाद पूनावाला का तंज
भा.ज.पा. के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इस पोस्टर पर तीखा हमला करते हुए कहा, “यह अजीब है कि अखिलेश यादव राहुल गांधी को एक सीट के लायक भी नहीं समझते और उन्हें अपनी पार्टी में जोड़ने के बावजूद सपा के लोग उन्हें अर्जुन बना रहे हैं।” उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर राहुल गांधी का नेतृत्व इतना प्रभावशाली था तो उन्हें खुद एक सीट जीतने के लायक क्यों नहीं समझा गया।
पूनावाला ने कहा कि राहुल गांधी की छवि और नेतृत्व पर सवाल उठते रहे हैं, और अब अखिलेश यादव उन्हें अर्जुन के रूप में पेश कर रहे हैं, जो खुद अपने राजनीतिक संघर्ष में विफल रहे हैं।
पोस्टर पर सपा और भाजपा के बीच टकराव
पोस्टर विवाद पर सपा और भाजपा के बीच तीखी राजनीति चल रही है। जहां सपा ने यह पोस्टर जारी करके राहुल गांधी की छवि को सुधारने और उनकी छवि को एक प्रभावशाली नेता के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है, वहीं भाजपा इसे राजनीतिक शोबाजी और सच्चाई से परे मान रही है।
भा.ज.पा. नेताओं का कहना है कि यह पोस्टर केवल दिखावा है और राहुल गांधी के वास्तविक नेतृत्व को छिपाने की कोशिश की जा रही है। भाजपा ने यह भी कहा कि सपा का यह कदम केवल गठबंधन की राजनीति और वोट बैंक की मजबूती को दर्शाता है, जबकि कांग्रेस के नेता अब भी खुद को एक मजबूत नेता के रूप में साबित करने में विफल हैं।
राजनीतिक विवाद का नया मोड़
यह पोस्टर और इसके बाद का तकरार उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है, जहां सपा और कांग्रेस की पुरानी साझेदारी अब एक बार फिर सुर्खियों में है। इससे यह साफ है कि 2024 के आम चुनाव में विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों के गठबंधन की रणनीति को लेकर प्रतिस्पर्धा और विवाद तेज हो सकते हैं।