साइलेंट लहर या एंटी-इनकंबेंसी? एग्जिट पोल में क्यों कमजोर पड़ रही ‘आप’ की उम्मीदें?
दिल्ली की राजनीति में ‘आप’ (आम आदमी पार्टी) के लिए इस बार चुनावी समीकरण उतने अनुकूल नजर नहीं आ रहे हैं, जितने पहले देखे जाते थे। एग्जिट पोल के आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि ‘झाड़ू’ की पकड़ इस बार ढीली हो सकती है। सवाल यह उठता है कि इसके पीछे साइलेंट वेव (मौन लहर) का असर है या फिर एंटी-इनकंबेंसी की मार?
एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर
आम आदमी पार्टी पिछले कई सालों से दिल्ली की सत्ता में है, लेकिन हाल के समय में भ्रष्टाचार के आरोपों, कथित शराब नीति घोटाले और सुशासन की कमजोर होती छवि ने मतदाताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में, जनता का एक वर्ग बदलाव की ओर देख सकता है।
साइलेंट लहर: कौन है चुप वोटर?
दिल्ली में एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो खुलकर अपनी राय नहीं जाहिर करता, लेकिन चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस बार बीजेपी और कांग्रेस के पक्ष में साइलेंट वोटर सक्रिय हो सकते हैं, जिससे आम आदमी पार्टी को नुकसान हो सकता है।
एग्जिट पोल में ‘झाड़ू’ क्यों कमजोर?
- भ्रष्टाचार के आरोप: केजरीवाल सरकार के कुछ मंत्रियों पर लगे आरोपों ने पार्टी की छवि को प्रभावित किया है।
- मोदी फैक्टर: लोकसभा चुनाव की तर्ज पर बीजेपी का आक्रामक प्रचार अभियान और पीएम मोदी की लोकप्रियता विपक्ष के लिए चुनौती बनी हुई है।
- कांग्रेस की वापसी: दिल्ली में कांग्रेस धीरे-धीरे जमीन मजबूत कर रही है, जिससे ‘आप’ के वोट बैंक में सेंध लग सकती है।
- मुद्दों की दिशा बदली: मुफ्त बिजली-पानी और शिक्षा पर ध्यान देने वाली ‘आप’ सरकार के खिलाफ अब कानूनी मामलों और प्रशासनिक फैसलों को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
क्या यह संकेत बदलाव के हैं?
अगर एग्जिट पोल सही साबित होते हैं, तो यह संकेत होगा कि दिल्ली में जनता अब नए विकल्प की तलाश में है। हालांकि, अंतिम नतीजे अभी आने बाकी हैं, लेकिन मौजूदा रुझान ‘आप’ के लिए खतरे की घंटी जरूर बजा रहे हैं।
