हिमांचल-कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की भूमि के हस्तांतरण के फैसले पर पूरा विश्वविद्यालय एकजुट
“कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की भूमि के हस्तांतरण के
फैसले पर पूरा विश्वविद्यालय एकजुट, पालमपुर में विशाल विरोध रैली कर सौंपा ज्ञापन”
हिमांचल -30 / 08 / 2024 (शब्द) सुनील शर्मा
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की 112 हेक्टेयर भूमि पर्यटन गांव को देने के विरोध में कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षकों, गैर शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने वर्षा होने के बाबजूद पर्यटन गांव के लिए 112 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरण के खिलाफ कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से लेकर पुरे पालमपुर बाजार में विशाल रैली निकाल कर पालमपुर में सामूहिक विरोध प्रदर्शन किया एवं एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा ।
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के इतिहास में पहली बार शिक्षकों, गैर शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों का संगठनों ने इस प्रकार का सामूहिक विरोध प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (हपौटा) के अध्यक्ष डॉ. जनार्दन सिंह, पशुचिकिस्ता एवं पशु विज्ञान शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. अमित शर्मा, गैर शिक्षक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजीव शर्मा, छात्र प्रतिनिधि अभय वर्मा और सेवानिवृत्त संग के अध्यक्ष फूल के नेतृत्व में किया गया।
हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (हपौटा) के अध्यक्ष डॉ. जनार्दन सिंह ने बताया कि आज के सामूहिक विरोध प्रदर्शन में राज्य सरकार से इस भूमि हस्तांतरण के निर्णय को वापस लेने की मांग की।
सभी संगठनों का मानना है कि “यह निर्णय प्रदेश के किसानों, विद्यार्थियों, शोधार्थियों और वैज्ञानिकों के लिए अन्यायपूर्ण है। सरकार को कृषि विश्वविद्यालय का दायरा बढ़ाना चाहिए और कृषि से जुड़े नए विभाग खोलने चाहिए, न कि इसकी भूमि को पर्यटन विभाग को हस्तांतरित करना चाहिए।“
डॉ. जनार्दन सिंह ने बताया कि “ नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के साथ, स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट छात्रों का प्रवेश साल दर साल बढ़ रहा है और मौजूदा प्रायोगिक क्षेत्र विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्र प्रयोगों के लिए कम पड़ रहा है। छात्रों के क्षेत्र प्रयोग की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने और विश्वविद्यालय की डेयरी फार्मिंग को बनाए रखने के लिए प्रस्तावित क्षेत्र का विकास किया जा रहा है।
छात्रावास आवास की कमी के कारण कई स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों, विशेषकर लड़कियों को विश्वविद्यालय से बाहर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसके अलावा, नई शिक्षा नीति के तहत नए कॉलेज और नए कार्यक्रम शुरू किए जाने हैं ।
डॉ. जनार्दन सिंह ने बताया कि हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के पास मौजूदा क्षेत्र 500 हैक्टर से कम हो गया, तो उत्तर पश्चिमी हिमालय के लिए केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनने की प्रतिस्पर्धा की गुंजाइश भीं ख़त्म हो जाएगी ।
प्रदेश सरकार को कृषि विश्वविद्यालय को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनाने के लिए भारत सरकार से आग्रह करना चाहिए जिससे प्रदेश की आर्थिक जिम्मेदारी भी खत्म हो सके ।
आज सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहे है, सरकार को जल्द से जल्द प्रदेश के एक मात्र कृषि विश्वविद्यालय के हित में निर्णय लेने चाहिए । कृषि विश्वविद्यालय से पहले ही काफ़ी जमीन विक्रम बत्रा कॉलेज, विज्ञान संग्रहालय, हेलिपैड, आदि के लिए सरकार द्वारा ले ली गई है, और अब 112 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण विश्वविद्यालय के भविष्य के विकास के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (हपौटा) छात्र प्रतिनिधि अभय वर्मा ने बताया कि प्रदेश सरकार के द्वारा मीडिया में अफवाह फैलाई जा रही हैं और भ्रमित किया जा रहा की 112 हैक्टेयर भूमि बंजर पड़ी है जबकि उस भूमि पर ज़ीरो बजट नेचुरल फार्म , एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग वर्कशॉप, ट्री प्लांटेशन इत्यादि हैं जिनसे विश्वविद्यालय में शोध कार्य व विवि के लिए राजस्व सृजन होता है।
राज्य सरकार से इस भूमि हस्तांतरण के निर्णय को वापस लेने की मांग की है ताकि शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियां सुचारू रूप से चलती रहें।