कुपवाड़ा में आतंकियों की गुफा का खुलासा: चीनी ग्रेनेड, हथियार और IED मैन्युअल बरामद
कुपवाड़ा में आतंकियों की गुफा का खुलासा: चीनी ग्रेनेड, हथियार और IED मैन्युअल बरामद
“जम्मू-कश्मीर में आतंक के खिलाफ चल रहे सुरक्षा बलों के अभियान में एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। बीएसएफ, भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त अभियान में कुपवाड़ा जिले के कालारूस इलाके में एक पथरीली गुफा में छिपा आतंकी ठिकाना पकड़ा गया है। यह गुफा किसी रणनीतिक ठिकाने से कम नहीं थी, जहां आतंकी बड़ी साजिश को अंजाम देने की तैयारी में थे। सुरक्षा बलों ने गुफा से चीनी हथियार, ग्रेनेड, गोला-बारूद और आतंक फैलाने के लिए जरूरी उपकरण बरामद किए हैं।”
तीन दिन चला संयुक्त अभियान
यह ऑपरेशन 4 अगस्त को अंजाम तक पहुंचा, जो लगातार तीन दिन तक चला। इस दौरान बीएसएफ, सेना और पुलिस ने कालारूस के घने और दुर्गम क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया।
इस गुफा के अंदर से जो सामग्री बरामद हुई, उसने सुरक्षा एजेंसियों को चौका दिया:
- 12 चीनी ग्रेनेड
- 1 चीनी पिस्तौल
- केनवुड रेडियो सेट
- गोला-बारूद
- उर्दू भाषा में IED बनाने की किताब
- आग जलाने वाली छड़ें
यह सब दर्शाता है कि आतंकियों की योजना सिर्फ हमला करने की नहीं थी, बल्कि एक बड़े विध्वंसक हमले की तैयारी की जा रही थी।
बीएसएफ ने दी जानकारी
बीएसएफ ने इस ऑपरेशन की जानकारी अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल के माध्यम से दी। उन्होंने ऑपरेशन की तस्वीरें साझा करते हुए बताया कि यह संयुक्त कार्रवाई आतंकवादियों की एक बड़ी साजिश को नाकाम करने में सफल रही।
उनका कहना था,
“हमारे सुरक्षा बलों की सजगता और तालमेल ने आतंकियों के मंसूबों को समय रहते नष्ट कर दिया। यह ऑपरेशन हमारी मुस्तैदी और प्रभावी इंटेलिजेंस का परिणाम है।”
कुपवाड़ा: आतंकियों की पुरानी पनाहगाह
कुपवाड़ा जिला, खासकर कालारूस और केरन सेक्टर, सीमा के निकट होने के कारण लंबे समय से आतंकियों की घुसपैठ और छिपने का रास्ता रहा है। इस इलाके में पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों के लिए गुफाएं और घने जंगल सुरक्षित पनाहगाह बनते रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसे गुफा-बेस और ठिकानों का खुलासा हो चुका है, जिनमें आतंकियों के पास से विदेशी हथियार, संचार उपकरण और विस्फोटक सामग्री मिली है।
कुलगाम में भी जारी है ऑपरेशन
सिर्फ कुपवाड़ा ही नहीं, कुलगाम जिले में भी सुरक्षा बलों का अभियान तेज़ी से चल रहा है। अखल जंगल इलाके में चार दिन से अधिक समय से आतंकियों के खिलाफ घेराबंदी और तलाशी अभियान (CASO) जारी है।
इस अभियान में अब तक:
- एक आतंकी मारा गया है
- एक अन्य आतंकी गंभीर रूप से घायल हुआ है
- चार जवान घायल हुए हैं
- रातभर रुक-रुक कर गोलीबारी होती रही है
इससे पहले, अप्रैल माह में पहलगाम में हुए हमले में शामिल तीन पाकिस्तानी आतंकियों को भी सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में ढेर किया था। इस हमले में 26 पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी।
रणनीतिक दृष्टिकोण से बड़ी सफलता
कुपवाड़ा में मिला आतंकी ठिकाना सिर्फ एक हथियार डिपो नहीं था, बल्कि यह एक प्रशिक्षण और योजना केंद्र भी हो सकता था। IED बनाने की किताब और रेडियो सेट इस बात का संकेत देते हैं कि आतंकवादी यहां से कम्युनिकेशन नेटवर्क संचालित कर रहे थे। चीन निर्मित हथियारों की मौजूदगी इस बात को दर्शाती है कि आतंकवादियों को सीमा पार से निरंतर समर्थन मिल रहा है।
क्या है सुरक्षा बलों की रणनीति?
भारतीय सुरक्षा बल अब सिर्फ मुठभेड़ पर निर्भर नहीं हैं। वे अब इंटेलिजेंस आधारित सर्च ऑपरेशन (IBSO) पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। इसका उद्देश्य है आतंकियों के ठिकानों को पहले ही खोज निकालना और उनकी साजिश को जड़ से खत्म करना।
बीएसएफ, भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के बीच तालमेल ने आतंक के खिलाफ अभियान को और प्रभावशाली बना दिया है।
“कुपवाड़ा में आतंकी गुफा का खुलासा सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि आने वाले खतरों के खिलाफ एक सावधानी और संदेश है। यह दिखाता है कि भारतीय सुरक्षा बल आतंकवाद के खिलाफ केवल सतही लड़ाई नहीं, बल्कि गहराई से युद्ध लड़ रहे हैं। इस तरह की कार्रवाइयों से न केवल आतंकियों की कमर टूटती है, बल्कि उन नेटवर्क्स का भी खुलासा होता है, जो सीमापार से इस युद्ध को संचालित कर रहे हैं। कुपवाड़ा आतंकी गुफा ऑपरेशन एक और उदाहरण है कि भारत आतंकवाद के हर रूप को जड़ से खत्म करने के लिए तैयार है – रणनीति, तकनीक और ताकत तीनों मोर्चों पर।”
