नई क्रांतिकारी पहल: भारत में शुरू हुआ राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, उन्नत तकनीक के क्षेत्र में मिलेगी नई उड़ान
भारत का तकनीकी भविष्य: राष्ट्रीय क्वांटम मिशन की शुरुआत
“भारत सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (National Quantum Mission) की शुरुआत की है। इस मिशन के तहत देश में उन्नत क्वांटम तकनीक के अनुसंधान और विकास को गति दी जाएगी। मिशन का कुल बजट ₹6003.65 करोड़ निर्धारित किया गया है और इसे आठ वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य भारत को क्वांटम तकनीकों के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी राष्ट्र बनाना है। इसमें क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम संचार, क्वांटम सेंसिंग, मेट्रोलॉजी और क्वांटम सामग्री और उपकरणों पर अनुसंधान शामिल है।”
मिशन की विशेषताएं और प्राथमिकताएं
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को 2023 में स्वीकृति दी गई थी और इसके तहत विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर केंद्रित चार प्रमुख थीमेटिक हब (T-Hub) बनाए गए हैं। इन केंद्रों में अलग-अलग राज्यों के वैज्ञानिक एक साथ कार्य कर रहे हैं ताकि इस तकनीक को जमीनी स्तर पर विकसित किया जा सके।
चार प्रमुख अनुसंधान क्षेत्र:
- क्वांटम कंप्यूटिंग
- क्वांटम संचार
- क्वांटम सेंसिंग और मेट्रोलॉजी
- क्वांटम सामग्री और उपकरण
वित्तीय वर्ष 2024-25 में मिली अहम प्रगति
वर्ष 2024-25 के लिए इस मिशन को ₹86 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है, जिसमें से ₹43.07 करोड़ वितरित किए गए और अब तक ₹32.77 करोड़ का व्यय किया जा चुका है। इस धनराशि का उपयोग करते हुए 17 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 17 परियोजना टीमों का गठन किया गया है।
टी-हब केंद्रों की स्थापना:
इन परियोजनाओं के तहत चार टी-हब केंद्र बनाए गए हैं जिनमें 14 तकनीकी समूह कार्यरत हैं। इन केंद्रों के माध्यम से 43 संस्थानों से जुड़े 152 वैज्ञानिक और शोधकर्ता अनुसंधान कार्य में लगे हैं।
IIT गुवाहाटी बना क्वांटम कंप्यूटिंग का केंद्र
क्वांटम कंप्यूटिंग पर विशेष ध्यान देते हुए असम स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गुवाहाटी को एक प्रमुख टी-हब के रूप में चुना गया है। इस संस्थान को 2024-25 के लिए ₹6.92 लाख की राशि आवंटित की गई है, जिसका उपयोग उन्नत क्वांटम रिसर्च लैब के निर्माण और संचालन में किया जाएगा।
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के लाभ
1. वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की भागीदारी
क्वांटम टेक्नोलॉजी वैश्विक स्तर पर तेजी से आगे बढ़ रही है और इस मिशन के माध्यम से भारत अब अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों की कतार में खड़ा होगा।
2. सुरक्षित संचार नेटवर्क का निर्माण
क्वांटम संचार तकनीक के माध्यम से अत्यधिक सुरक्षित संचार नेटवर्क बनाए जा सकेंगे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा प्रणालियों को भी मजबूती मिलेगी।
3. भविष्य की कंप्यूटिंग तकनीक
क्वांटम कंप्यूटिंग आज की पारंपरिक कंप्यूटर तकनीक की तुलना में लाखों गुना अधिक गति और क्षमता प्रदान करती है, जो दवा विकास, मौसम पूर्वानुमान, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है।
4. रोजगार और स्टार्टअप के नए अवसर
इस मिशन के जरिए उच्च तकनीकी क्षेत्रों में युवाओं के लिए रोजगार और स्टार्टअप के अवसर खुलेंगे, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा।
मिशन का दीर्घकालिक विजन
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन का लक्ष्य केवल तकनीकी विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य एक ऐसा वैज्ञानिक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है, जो आने वाले वर्षों में भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर ले जाए।
मिशन की परिकल्पना है कि 2031 तक भारत क्वांटम तकनीक में आत्मनिर्भर और वैश्विक नवप्रवर्तनकर्ता बन सके।
सरकार की प्रतिबद्धता
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में यह जानकारी देते हुए बताया कि यह मिशन भारत के वैज्ञानिक विकास की दिशा में एक निर्णायक कदम है। उनका मानना है कि यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो भारत अगले दशक में क्वांटम तकनीक में नया कीर्तिमान स्थापित कर सकता है।
“राष्ट्रीय क्वांटम मिशन केवल एक अनुसंधान परियोजना नहीं है, बल्कि यह भारत को भविष्य की तकनीक में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने की रणनीति है। इससे जुड़े वैज्ञानिक, शैक्षणिक संस्थान और शोधकर्ता आने वाले वर्षों में ऐसे नवाचार लाएंगे, जो देश की तकनीकी सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”
