स्वच्छ पर्यावरण हमारी अगली पीढ़ी के लिए सबसे बड़ी विरासत: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
“आज जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही है, ऐसे समय में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का संदेश एक चेतावनी ही नहीं बल्कि एक दिशा भी है। उन्होंने ‘पर्यावरण–2025’ पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा“
“आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ पर्यावरण देना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।”
🌱 पर्यावरण संरक्षण की नैतिक जिम्मेदारी:
राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा केवल सरकारी नीति तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। यह हर व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने जीवनशैली में ऐसे बदलाव लाए जिससे प्रकृति को लाभ हो।
उन्होंने कहा कि,
“हमें ऐसी जीवनशैली अपनानी होगी जो न केवल पर्यावरण की रक्षा करे, बल्कि उसका संवर्धन भी सुनिश्चित करे।”
👶 बच्चों और युवाओं के लिए स्वच्छ भविष्य:
राष्ट्रपति ने अपने उद्बोधन में एक अत्यंत भावनात्मक बात कही जो हर माता-पिता से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह हम अपने बच्चों की पढ़ाई और करियर को लेकर चिंतित रहते हैं, उसी तरह हमें यह भी सोचना चाहिए कि वे किस हवा में सांस लेंगे, किस पानी को पिएंगे और क्या वे पक्षियों की आवाजें सुन सकेंगे?
यह दृष्टिकोण आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है, क्योंकि तेजी से शहरीकरण और औद्योगिकीकरण ने प्रकृति को नुकसान पहुँचाया है।
🌳 भारतीय संस्कृति और प्रकृति का संबंध:
राष्ट्रपति मुर्मु ने भारतीय परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति में प्रकृति को माँ के समान सम्मान दिया गया है। उन्होंने कहा:
“भारतीय विकास की विचारधारा में पोषण है, शोषण नहीं। संरक्षण है, उन्मूलन नहीं।”
वास्तव में, हमारी परंपराएं सिखाती हैं कि प्रकृति का दोहन नहीं, बल्कि उसका सम्मान किया जाना चाहिए।
⚖️ विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन:
आज का सबसे बड़ा सवाल यही है कि आधुनिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। राष्ट्रपति ने इसे “एक अवसर और एक चुनौती” दोनों बताया।
हम स्मार्ट शहर बना सकते हैं, लेकिन यदि वहाँ की हवा सांस लेने लायक नहीं होगी, तो वह विकास अधूरा है। हमें ऐसी योजनाएं बनानी होंगी जो हरित विकास (Green Growth) को प्राथमिकता दें।
🏛️ राष्ट्रीय हरित अधिकरण की सराहना:
राष्ट्रपति मुर्मु ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था भारत के पर्यावरणीय शासन में एक मजबूत स्तंभ बन चुकी है। इसके फैसलों से कई बार बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट्स में बदलाव लाए गए हैं ताकि पर्यावरण को नुकसान न हो।
🌎 भारत का वैश्विक नेतृत्व:
अपने भाषण में उन्होंने भारत की उन पहलों का उल्लेख किया जिनसे देश ने दुनिया के सामने हरित विकास का उदाहरण प्रस्तुत किया है। जैसे:
- अंतर्राष्ट्रीय सोलर एलायंस (International Solar Alliance) की अगुवाई
- वनों का संरक्षण और बढ़ोतरी
- स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को प्राथमिकता
उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में भारत एक वैश्विक हरित नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरेगा।
🛤️ विकसित भारत 2047 का विज़न:
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है, और यह विकास तभी पूर्ण होगा जब देश की वायु, जल, जंगल और समृद्धि वैश्विक आकर्षण बनें।
इसलिए, विकास का रास्ता हमें पर्यावरण से होकर ही तय करना होगा।
🔄 हर नागरिक की भागीदारी जरूरी:
राष्ट्रपति मुर्मु का संदेश था कि केवल सरकार की योजनाएं काफी नहीं हैं। आम नागरिक को भी जागरूक होना पड़ेगा:
- प्लास्टिक का उपयोग कम करें
- पानी और बिजली की बर्बादी रोकें
- अधिक से अधिक पेड़ लगाएं
- बच्चों को प्रकृति से जोड़ें
📌 निष्कर्ष:
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का यह भाषण न केवल एक औपचारिक वक्तव्य था, बल्कि एक प्रेरक संदेश भी था जो हर भारतीय को सोचने पर मजबूर करता है। आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ पर्यावरण छोड़ना न केवल सरकारों की, बल्कि हम सभी की सामूहिक और नैतिक जिम्मेदारी है।
यदि हम आज से ही छोटे-छोटे बदलाव लाना शुरू करें, तो 2047 में विकसित भारत का सपना केवल आर्थिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी पूरा होगा।
