तहव्वुर राणा को भारत लाने में 4 करोड़ का खर्च: 40 घंटे की विशेष उड़ान की पूरी कहानी
तहव्वुर राणा का भारत लाने में क्यों लगा 4 करोड़ ?
“26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने के लिए एक विशेष विमान किराए पर लिया गया। यह उड़ान 40 घंटे तक चली और इस पर करीब 4 करोड़ रुपये खर्च हुए। सरकार ने इस विमान को सुरक्षा कारणों से चुना, क्योंकि राणा एक उच्च जोखिम वाला कैदी माना जा रहा था।”
मुख्य बिंदु:
- विशेष विमान का चयन: सामान्य उड़ानों के बजाय प्राइवेट चार्टर विमान का उपयोग
- सुरक्षा व्यवस्था: आतंकी संबंधी मामलों में अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल का पालन
- लागत का विवरण: ईंधन, लैंडिंग शुल्क और सुरक्षा कर्मियों का खर्च
क्यों जरूरी थी यह विशेष उड़ान ?
तहव्वुर राणा पर 2008 के मुंबई हमले में संलिप्त होने का आरोप है। उन्हें अमेरिका से प्रत्यर्पित किया गया, जहां वह कई सालों से रह रहे थे। चूंकि यह एक संवेदनशील मामला था, इसलिए भारत सरकार ने उन्हें सीधे विशेष विमान से लाने का निर्णय लिया।
सुरक्षा चुनौतियां:
- उच्च जोखिम वाला कैदी: राणा को भागने या हमले का खतरा
- अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल: विमान में सुरक्षा एजेंटों की तैनाती
- मीडिया और जनता की नजरों से बचाव: गोपनीयता बनाए रखना
कितना खर्च आया विमान पर ?
इस विशेष उड़ान में कुल 4 करोड़ रुपये खर्च हुए, जिसमें निम्नलिखित मदें शामिल थीं:
1. विमान किराया:
एक प्राइवेट जेट का 40 घंटे तक किराया, जिसमें पायलट, केबिन क्रू और रखरखाव शामिल था।
2. ईंधन की लागत:
लंबी दूरी की उड़ान के कारण ईंधन पर भारी खर्च।
3. सुरक्षा व्यवस्था:
विमान में भारतीय और अमेरिकी सुरक्षा एजेंटों की तैनाती।
4. लैंडिंग और अनुमति शुल्क:
विभिन्न देशों के हवाई क्षेत्र में प्रवेश और लैंडिंग की अनुमति के लिए शुल्क।
क्या यह खर्च जायज था ?
इस मामले में सुरक्षा और कानूनी प्रक्रिया को देखते हुए यह खर्च आवश्यक था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के आरोपियों को प्रत्यर्पित करने में अक्सर ऐसी विशेष व्यवस्था की जाती है। भारत सरकार ने इस मामले में कोई कोताही नहीं बरती।
तुलनात्मक विश्लेषण:
- अन्य देशों में प्रत्यर्पण लागत: अमेरिका और यूरोप में भी ऐसे मामलों में करोड़ों खर्च होते हैं।
- सामान्य उड़ान से तुलना: कमर्शियल फ्लाइट में सुरक्षा जोखिम अधिक होता।
सुरक्षा बनाम लागत
तहव्वुर राणा को भारत लाने में हुए 4 करोड़ के खर्च को सुरक्षा और कानूनी दृष्टि से उचित ठहराया जा सकता है। यह मामला न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 26/11 जैसे बड़े आतंकी हमले से जुड़ा हुआ है। सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखी है, जो एक सकारात्मक पहलू है।