भारत में पहली बार होगा व्यापक घरेलू आय सर्वेक्षण
“भारत सरकार ने वर्ष 2026 में देश का पहला राष्ट्रीय घरेलू आय सर्वेक्षण आयोजित करने की घोषणा की है। इस महत्वपूर्ण कदम की जिम्मेदारी सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने उठाई है। यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण (NSS) के तहत किया जाएगा और इसका उद्देश्य देश में आमदनी के वितरण को समझना और आर्थिक योजनाओं को बेहतर बनाना है।”
क्यों ज़रूरी है भारत घरेलू आय सर्वेक्षण 2026?
अब तक भारत में उपभोग, स्वास्थ्य, शिक्षा, और बेरोजगारी जैसे विषयों पर कई राष्ट्रीय स्तर के सर्वेक्षण किए गए हैं। लेकिन देश की घरेलू आय को लेकर कभी भी एक व्यापक और सटीक सर्वेक्षण नहीं हुआ। इससे यह जानना मुश्किल हो जाता है कि विभिन्न वर्गों की आमदनी में कैसा अंतर है और पिछले वर्षों में इसमें क्या बदलाव आया है।
1950 के दशक में NSS के 9वें और 14वें राउंड तथा 1960-70 के दशक में 19वें और 24वें राउंड में कुछ प्रयास जरूर किए गए थे, लेकिन ये आंकड़े विश्वसनीय नहीं माने गए क्योंकि उनमें आय को कम बताया गया था, जिससे उपभोग और बचत के आंकड़ों में अंतर देखने को मिला।
सर्वेक्षण के पीछे है एक ठोस योजना और विशेषज्ञों की टीम
इस नई पहल को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए सरकार ने एक तकनीकी विशेषज्ञ समूह (TEG) का गठन किया है। इसकी अध्यक्षता डॉ. सुरजीत एस. भल्ला कर रहे हैं, जो पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत के कार्यकारी निदेशक रह चुके हैं।
समूह की भूमिका में शामिल हैं:
- सर्वेक्षण की रूपरेखा और पद्धति तय करना
- सैंपल डिजाइन और डेटा संग्रहण तकनीकों पर काम करना
- अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को भारत में लागू करना
- डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल कर डेटा की गुणवत्ता बढ़ाना
किन देशों की पद्धतियों को अपनाया जाएगा?
यह समूह अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों की सर्वोत्तम सांख्यिकीय तकनीकों को अध्ययन कर भारत के लिए उपयुक्त रूप से अनुकूल बनाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत का डेटा न केवल देश के लिए उपयोगी हो, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी तुलनात्मक और प्रमाणिक हो।
डिजिटल तकनीक से बढ़ेगी पारदर्शिता
इस सर्वेक्षण में डिजिटल माध्यमों का खास इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे लोगों की आमदनी की जानकारी सटीक रूप से मापी जा सकेगी। खासकर वेतनभोगी, स्वरोजगार और असंगठित क्षेत्र के लोगों की आय को ट्रैक करना अब तक बेहद मुश्किल रहा है। डिजिटल टूल्स से यह काम सरल और तेज होगा।
सर्वेक्षण से कैसे बदलेंगे नीति और योजनाएं?
एक सटीक घरेलू आय सर्वेक्षण सरकार को यह समझने में मदद करेगा कि:
- किस वर्ग की आय में बढ़ोतरी हुई है और किसकी नहीं
- गरीबी और असमानता को घटाने के लिए क्या कदम उठाने की ज़रूरत है
- उचित टैक्स नीति कैसे बनाई जा सकती है
- वित्तीय सहायता और सब्सिडी योजनाएं किन क्षेत्रों में अधिक प्रभावशाली होंगी
यह सर्वेक्षण आने वाले समय में नीति निर्धारण और आर्थिक योजना के लिए आधार तैयार करेगा।
भारत के पिछले प्रयास: अधूरे लेकिन प्रेरक
हालांकि पहले भी NSS के कुछ राउंड में घरेलू आय पर डेटा एकत्र करने की कोशिश की गई थी, लेकिन कई वजहों से ये सफल नहीं हो सके:
- लोग अपनी आय कम बताते थे जिससे गलत निष्कर्ष निकलते थे
- सर्वेक्षण की पद्धति और सैंपलिंग में खामियां थीं
- डेटा का उपयोग नीति निर्धारण में नहीं किया गया
अब MoSPI इन समस्याओं से सीखते हुए 2026 के सर्वेक्षण को पारदर्शी, सटीक और उपयोगी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
हाल की अन्य पहलें: एक व्यापक दृष्टिकोण
MoSPI ने हाल के वर्षों में कई महत्वपूर्ण सर्वेक्षण शुरू किए हैं:
इन सभी सर्वेक्षणों से साफ़ है कि सरकार अब डेटा आधारित नीति निर्माण की ओर तेज़ी से बढ़ रही है।
भारत घरेलू आय सर्वेक्षण 2026 एक ऐतिहासिक पहल
भारत घरेलू आय सर्वेक्षण 2026 न केवल भारत की आर्थिक तस्वीर को साफ़ करेगा बल्कि यह बताएगा कि देश की आमदनी का असली चेहरा क्या है। इससे सरकार को योजनाएं बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और आम जनता को उनकी ज़रूरतों के अनुसार सहायता मिल सकेगी।
