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राष्ट्रपति मुर्मु ने महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया, आयुष प्रणालियों को भारत का अनमोल उपहार बताया

राष्ट्रपति मुर्मु ने महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया, आयुष प्रणालियों को भारत का अनमोल उपहार बताया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए चिकित्सा शिक्षा और सेवाओं के विकास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर आयुष प्रणालियों के महत्व को उजागर करते हुए इन्हें भारत का एक अनमोल उपहार बताया और वैश्विक समुदाय के लिए इन पद्धतियों के योगदान की सराहना की।”


महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय: एक आधुनिक केंद्र

समृद्ध भारतीय परंपराओं का आधुनिक केंद्र

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय हमारी समृद्ध प्राचीन चिकित्सा परंपराओं का एक प्रभावशाली और आधुनिक केंद्र है। यह विश्वविद्यालय आयुष पद्धतियों के अध्ययन और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने विश्वविद्यालय में विकसित उन्नत सुविधाओं की सराहना की, जो अब बड़ी संख्या में लोगों के लिए उपलब्ध हैं।


आयुष प्रणालियों का बढ़ता प्रभाव

भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को वैश्विक मंच पर लाना

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा और सिद्ध जैसी प्राचीन भारतीय प्रणालियां समग्र और सार्थक जीवन जीने के वैज्ञानिक तरीके हैं। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद पर आधारित हमारी जीवनशैली में संतुलित आहार, जीवनशैली और विचारों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। आयुर्वेद हमारी धरती से जुड़ी हुई है और हमारे खेत और जंगलों में औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों का खजाना है। उन्होंने कहा कि आयुष प्रणालियां न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक अनमोल उपहार हैं।


योग और आयुष प्रणालियों की भूमिका

स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए योग और आयुष की महत्ता

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा, "स्वास्थ्य ही धन है," और उन्होंने लोगों से खुद को स्वस्थ रखने के लिए आयुष प्रणालियों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने योग को उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद बताया, जो शारीरिक परिश्रम कम करते हैं और बैठे रहते हैं। उन्होंने सभी से नियमित रूप से योग करने की अपील की, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो।


महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का महत्व

चिकित्सा शिक्षा और शोध में सुधार की दिशा में अहम कदम

राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय आयुष पद्धतियों के शोध, शिक्षा और प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे विश्वविद्यालयों को इन पद्धतियों की वैज्ञानिक स्वीकार्यता बढ़ाने में निर्णायक भूमिका निभानी होगी। विश्वविद्यालय के पास आयुष प्रणालियों को समकालीन चिकित्सा पद्धतियों से जोड़ने और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने की क्षमता है।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना

जनकल्याण के प्रति समर्पण और विकास की दिशा में योगदान

राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की और कहा कि उनके अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि संबंधी बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है। राष्ट्रपति मुर्मु ने जनकल्याण के प्रति मुख्यमंत्री के समर्पण को सराहा और कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना उनके नेतृत्व में हुआ एक महत्वपूर्ण कदम है, जो प्रदेश के स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।


कर्मचारियों और डॉक्टरों से आह्वान

जनकल्याण की दिशा में काम करते हुए समर्पण बनाए रखें

राष्ट्रपति मुर्मु ने प्रशासनिक अधिकारियों, डॉक्टरों और नर्सों से आग्रह किया कि वे जनप्रतिनिधियों द्वारा शुरू किए गए कल्याणकारी उपायों को आगे बढ़ाएं और जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं। उन्होंने सभी से यह भी कहा कि वे किसी भी पेशे में प्रवेश करते समय आत्मनिरीक्षण करें और अपने द्वारा किए गए वादों को पूरा करने का संकल्प लें।


भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक कदम

आयुष प्रणालियों का योगदान भारत के समग्र विकास में

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि आयुष प्रणालियों पर आधारित जीवनशैली और स्वास्थ्य के उपाय भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां न केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में बल्कि समग्र विकास की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित हो सकती हैं।


“राष्ट्रपति मुर्मु का यह उद्घाटन समारोह न केवल आयुष प्रणालियों के महत्व को बढ़ावा देने का अवसर था, बल्कि यह भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को एक वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, जो समृद्ध भारतीय परंपराओं को आधुनिक शिक्षा और चिकित्सा पद्धतियों के साथ जोड़ता है, निश्चित रूप से आयुष पद्धतियों के प्रसार और लोकप्रियता में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा।”

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सुनील शर्मा

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