जातिगत जनगणना को लेकर अखिलेश यादव ने भाजपा को दी चुनौती, बोले- जैसे चुनाव कराते हो, वैसे ही जनगणना भी कराओ
“जातिगत जनगणना को लेकर देश में एक बार फिर बहस तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को सीधे लहजे में चुनौती दी है। उनका कहना है कि सरकार अगर ईमानदारी से लोकतंत्र चलाना चाहती है, तो उसे चुनाव की ही तरह जातिगत जनगणना भी करानी चाहिए।”
अखिलेश यादव की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब विपक्षी दल जाति आधारित जनगणना को लेकर एकजुट हो रहे हैं। उनका दावा है कि सामाजिक न्याय तभी संभव होगा जब हर जाति की संख्या का सही-सही आंकलन हो।
🔷 अखिलेश यादव का बड़ा बयान: चुनाव जैसे जातिगत जनगणना कराओ
लखनऊ में एक सभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा,
“अगर सरकार हर पांच साल में पारदर्शी तरीके से चुनाव करा सकती है, तो वह जातिगत जनगणना क्यों नहीं करा सकती?”
उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार जानबूझकर जनगणना नहीं करा रही ताकि हाशिए पर खड़े वर्गों को उनका हक न मिल सके। अखिलेश ने कहा कि सरकार को यह बताना होगा कि आखिर वह जातिगत आंकड़े क्यों छिपा रही है।
🔷 जातिगत जनगणना क्यों है जरूरी?
जातिगत जनगणना से सरकार को यह जानकारी मिलती है कि देश में कौन-से वर्ग कितनी संख्या में मौजूद हैं। इससे सामाजिक योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकता है। वर्तमान में सरकार के पास केवल अनुमान है, सटीक डेटा नहीं।
जातिगत जनगणना से यह भी तय होगा कि आरक्षण और योजनाओं का लाभ किसे मिलना चाहिए और किस हद तक। सामाजिक न्याय की दिशा में यह एक मजबूत कदम हो सकता है।
🔷 विपक्षी एकता और जातिगत जनगणना
जातिगत जनगणना की मांग को लेकर कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल यूनाइटेड (JDU) और समाजवादी पार्टी (SP) जैसी पार्टियां एकजुट हो रही हैं। ये सभी दल मानते हैं कि बिना जातिगत आंकड़ों के सामाजिक न्याय अधूरा है।
🔷 केंद्र सरकार की चुप्पी पर सवाल
भाजपा सरकार पर यह आरोप है कि वह जातिगत जनगणना के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। 2021 की जनगणना कोविड-19 के चलते टल गई, लेकिन सरकार ने इसके बाद भी इसे शुरू नहीं किया। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार इस विषय पर गंभीर नहीं है।
🔷 जनगणना और चुनाव में अंतर नहीं होना चाहिए: अखिलेश
अखिलेश यादव का कहना है कि जैसे चुनावों में वोटर की हर डिटेल दर्ज की जाती है, वैसे ही जातिगत जनगणना में भी हर नागरिक की जाति दर्ज होनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि देश की सभी जातियों को बराबरी का हक मिले।
🔷 भाजपा की रणनीति पर सवाल
समाजवादी पार्टी प्रमुख ने यह भी कहा कि भाजपा जातिगत जनगणना से इसलिए बच रही है क्योंकि इससे सामाजिक असमानता सामने आ जाएगी। यह उनके वोट बैंक की राजनीति को नुकसान पहुंचा सकता है।
🔷 2025 चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकती है जातिगत जनगणना
2025 के लोकसभा चुनाव से पहले जातिगत जनगणना एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। विपक्षी दल इसे लेकर बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने संकेत दिया है कि अगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाया, तो सड़क से संसद तक आंदोलन होगा।
🔷 निष्कर्ष की बजाय मजबूत मांग
इस पूरे विवाद का केंद्रीय बिंदु यही है कि जातिगत जनगणना एक ऐसी प्रक्रिया है जो सामाजिक न्याय की नींव रख सकती है। अखिलेश यादव जैसे नेता इस मांग को मजबूती से उठा रहे हैं ताकि हर वर्ग को उसका संवैधानिक अधिकार मिल सके।
