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सीजफायर के बाद जम्मू-कश्मीर और सीमा क्षेत्रों में लौट रही है शांति : भारतीय सेना का दावा

भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम के बाद जम्मू-कश्मीर के सरहदी इलाकों में राहत

भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्षविराम समझौते का असर अब जम्मू-कश्मीर और सीमावर्ती इलाकों में दिखने लगा है। रविवार रात को पहली बार लंबे समय बाद सीमा पार से किसी भी गोलीबारी की घटना दर्ज नहीं की गई। इससे सीमावर्ती गांवों में रह रहे लोगों ने राहत की सांस ली है। भारतीय सेना ने भी दावा किया है कि शांति धीरे-धीरे बहाल हो रही है और हालात नियंत्रण में हैं।

सीमावर्ती इलाकों में मिला सुकून का अहसास

पिछले कुछ हफ्तों से नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर पाकिस्तान की ओर से लगातार फायरिंग और गोलीबारी हो रही थी। खासकर पुंछ, राजौरी, उरी, कुपवाड़ा और अखनूर जैसे इलाकों में पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम उल्लंघन के मामले तेजी से बढ़े थे। मगर अब सीजफायर के बाद रविवार रात को न तो छोटे हथियारों से फायरिंग हुई और न ही मोर्टार या आर्टिलरी से हमला किया गया।

स्थानीय निवासियों ने ली राहत की सांस

सीमा से सटे गांवों के निवासी लगातार गोलियों और बम धमाकों के बीच जिंदगी गुजारने को मजबूर थे। लेकिन अब लोगों को उम्मीद की किरण नजर आ रही है। कई गांवों में लोग सामान्य जीवन की ओर लौटने लगे हैं। बच्चे स्कूल जाने लगे हैं, किसान अपने खेतों में फिर से काम करने लगे हैं, और बाजारों में भी चहल-पहल दिखाई देने लगी है।

सेना का दावा: नियंत्रण में हैं हालात

भारतीय सेना ने भी आधिकारिक रूप से बयान जारी कर कहा है कि वर्तमान में सीमावर्ती इलाकों में हालात पूरी तरह से नियंत्रण में हैं। सेना ने कहा कि हालांकि सतर्कता बरती जा रही है, ताकि किसी भी संभावित खतरे का समय रहते जवाब दिया जा सके।

सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि भले ही मौजूदा हालात सकारात्मक हैं, लेकिन पाकिस्तान के इतिहास को देखते हुए किसी भी ढील की संभावना नहीं छोड़ी जा सकती। सैन्य चौकियों पर निगरानी बढ़ा दी गई है और सैनिक लगातार गश्त कर रहे हैं।

ऑपरेशन सिंदूर का असर भी दिखा

सीजफायर के इस माहौल के पीछे भारतीय सेना के हालिया ऑपरेशन सिंदूर का भी बड़ा योगदान रहा है। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान और पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। इससे पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा और उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी।

भारतीय वायुसेना और थलसेना की संयुक्त कार्रवाई ने यह साफ संदेश दिया कि भारत अब आतंकवाद और सीमा पार से हो रही हरकतों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।

पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली ने भी बदले हालात

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की गंभीर आर्थिक स्थिति भी इस सीजफायर की एक बड़ी वजह है। IMF से बार-बार कर्ज मांगने और घरेलू आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अब युद्ध जैसे हालात बनाना खुद के लिए भारी पड़ सकता है। इसलिए फिलहाल पाकिस्तान भी संघर्षविराम के पालन में रुचि दिखा रहा है।

आमजन की अपेक्षाएं और डर

भले ही रविवार की रात बिना फायरिंग के गुजरी हो, लेकिन सीमावर्ती गांवों के लोगों में अभी भी एक डर है कि कब हालात फिर से बिगड़ सकते हैं। लोग चाहते हैं कि संघर्षविराम स्थायी बने और भारत-पाकिस्तान के बीच शांतिपूर्ण माहौल कायम रहे।

कई ग्रामीणों का कहना है कि वे चाहते हैं कि सीमा पर स्थायी समाधान हो, ताकि बच्चों को शिक्षा, युवाओं को रोजगार और बुजुर्गों को चैन से जीवन बिताने का अवसर मिले।

सरकार का प्रयास: विकास कार्यों को मिले गति

सीजफायर के चलते केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सीमावर्ती इलाकों में विकास कार्यों को तेज करने की योजना बनाई है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम हो रहा है।

ग्रामीण क्षेत्रों में रोड नेटवर्क सुधारने, स्कूलों को अपग्रेड करने और स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके और वहां के लोगों का जीवन स्तर सुधर सके।

भविष्य की राह: सतर्कता के साथ आशावाद

सीजफायर का असर दिखना जरूर सकारात्मक संकेत है, लेकिन भारत को सतर्कता नहीं छोड़नी चाहिए। पाकिस्तान पर भरोसा करना हमेशा से जोखिम भरा रहा है। इसलिए भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों को निरंतर निगरानी रखनी होगी।

आमजन की अपेक्षा भी यही है कि सेना और सरकार की सतर्कता बनी रहे और किसी भी उकसावे का मुंहतोड़ जवाब दिया जाए, ताकि सरहदी इलाकों में स्थायी रूप से शांति कायम हो सके।

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