भारत समुद्री राष्ट्र था, है और रहेगा: नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी
“भारत के प्राचीन समुद्री इतिहास और सामरिक ताकत को रेखांकित करते हुए भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने मंगलवार को कहा कि भारत समुद्री राष्ट्र था, है और रहेगा। यह बयान उन्होंने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) रोहतक के पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम के इंडक्शन और ओरिएंटेशन समारोह के दौरान दिया। इस अवसर पर एडमिरल त्रिपाठी ने गर्व के साथ यह कहा और भारत के समुद्री सामर्थ्य की ऐतिहासिक, वर्तमान और भविष्य की भूमिका को स्पष्ट किया।”
भारत का समुद्री इतिहास
भारत की समुद्री विरासत की शुरुआत प्राचीन हड़प्पा काल से मानी जाती है, जब लोथल एक प्रमुख बंदरगाह शहर था। यह शहर सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा था और इसे दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात डॉकयार्ड माना जाता है। लोथल, जो अब गुजरात में स्थित है, भारत के समुद्री सामर्थ्य का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि भारत सदियों से समुद्र के रास्ते व्यापार, समृद्धि और सामरिक शक्ति का केंद्र रहा है। एडमिरल त्रिपाठी ने इस ऐतिहासिक तथ्य का उल्लेख करते हुए कहा कि आज भी भारत का लगभग 95 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्गों से होता है और 99 प्रतिशत वैश्विक इंटरनेट डेटा समुद्र के नीचे बिछाए गए केबल्स से गुजरता है। उनका यह भी मानना है कि 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य को पूरा करने में समुद्री शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
भारतीय नौसेना का सामरिक महत्व
नौसेना प्रमुख ने भारतीय नौसेना द्वारा हाल ही में किए गए राहत अभियानों का उल्लेख किया, जिसमें भारतीय नौसेना ने पश्चिम एशिया में संकटग्रस्त देशों से 400 से अधिक जानें बचाईं और 5.3 अरब डॉलर के माल को सुरक्षित किया। इस उदाहरण से उन्होंने यह बताया कि भारतीय नौसेना न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक संकटों में भी मानवता की मदद करती है। एडमिरल त्रिपाठी ने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के शब्दों का उल्लेख करते हुए छात्रों को प्रेरित किया, “सपना देखो, साहस करो और उसे साकार करो।” उनका कहना था कि भारतीय नौसेना का सामरिक महत्व न केवल वर्तमान में, बल्कि भविष्य में भी रहेगा, क्योंकि भारतीय समुद्री ताकत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्तंभ है।
आईआईएम रोहतक में नौसेना प्रमुख का संबोधन
आईआईएम रोहतक के इस इंडक्शन और ओरिएंटेशन समारोह में एडमिरल त्रिपाठी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। समारोह में आईआईएम रोहतक के निदेशक प्रो. धीरज शर्मा और अन्य फैकल्टी सदस्य भी मौजूद थे। इस अवसर पर नए शैक्षणिक वर्ष के 329 छात्रों और 8 शोधार्थियों का स्वागत किया गया। समारोह में छात्रों को अनुशासन, दृढ़ता, फोकस, और आत्मप्रेरणा जैसी गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।
प्रोफेसर धीरज शर्मा ने संस्थान के विजन को स्पष्ट करते हुए कहा कि यहां प्रबंधन की शिक्षा को अनुशासन, उद्देश्य और राष्ट्रीय सेवा से जोड़ा जाता है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे किताबों से बाहर निकलकर व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करें और समाज की सेवा में अपना योगदान दें।
नेतृत्व के मूलभूत गुणों पर चर्चा
समारोह में लेफ्टिनेंट जनरल बलबीर सिंह संधू (सेवानिवृत्त) ने भी छात्रों को नेतृत्व के मूलभूत गुणों – साहस, अनुशासन, और चरित्र – पर जोर दिया। उन्होंने सेना के अनुभवों से उदाहरण देते हुए छात्रों को बताया कि विपरीत परिस्थितियों में नेतृत्व कैसे निभाया जाता है और यह कि नेतृत्व केवल पद से नहीं बल्कि कर्म और उदाहरण से परिभाषित होता है।
पैनल चर्चाएं और निबंध प्रतियोगिता
समारोह के दौरान दो पैनल चर्चाएं भी हुईं, जिनका विषय था – “वर्तमान व्यापार परिदृश्य में प्रबंधन स्नातकों से अपेक्षित क्षमताएं” और “एआई युग में नेतृत्व।” इन चर्चाओं में विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। इसके अलावा, “भारतीय सशस्त्र बलों का योगदान: राष्ट्रीय सुरक्षा और गौरव के स्तंभ” विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें देशभर के शोधार्थियों ने भाग लिया। विजेता छात्रों को नकद पुरस्कार भी दिए गए।
“आईआईएम रोहतक में आयोजित इस समारोह में एडमिरल त्रिपाठी का संबोधन न केवल भारतीय नौसेना के महत्व को रेखांकित करने वाला था, बल्कि यह छात्रों को प्रेरित करने का भी एक माध्यम था। उन्होंने भारतीय समुद्री ताकत, भारतीय नौसेना के सामरिक योगदान और भविष्य में समुद्र के महत्व पर अपने विचार साझा किए। साथ ही, उन्होंने छात्रों से यह भी कहा कि वे अपने शैक्षणिक सफर को केवल किताबों तक सीमित न रखें, बल्कि व्यवहारिक ज्ञान पर भी ध्यान दें और समाज की सेवा में योगदान दें।”
