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प्रधानमंत्री ने म्यूज़ियम मैप ऑफ इंडिया और युवा समिति का प्रस्ताव रखा

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, 23 जून 2025 को नई दिल्ली के तीन मूर्ति भवन में प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय सोसायटी (PMML) की 47वीं वार्षिक बैठक की। इस अवसर पर उन्होंने “म्यूज़ियम मैप ऑफ इंडिया” की महत्त्वपूर्ण परिकल्पना प्रस्तुत की, जिसे भविष्य में देश के सभी संग्रहालयों को एकीकृत करने के लिए एक मजबूत ढांचा माना जा रहा है। इस में हम विस्तार से समझेंगे कि यह योजना क्या है, इसके क्या उद्देश्य हैं और इससे किस प्रकार के लाभ हैं।”


“म्यूज़ियम मैप ऑफ इंडिया”—एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण

मुख्य रूप से प्रधानमंत्री मोदी ने “म्यूज़ियम मैप ऑफ इंडिया” की अवधारणा पर बल दिया। इस योजना का लक्ष्य देशभर में संग्रहालयों को एकीकृत सांस्कृतिक और सूचना तंत्र में शामिल करना है।

राष्ट्रीय संग्रहालय डेटाबेस की आवश्यकता

पीएम ने सुझाव दिया कि सभी संग्रहालयों के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार किया जाए, जिसमें निम्नलिखित जानकारी शामिल हो:

इस डेटाबेस से न केवल संग्रहालयों की दृश्यता बढ़ेगी, बल्कि नीति-निर्माण और संसाधन आवंटन में भी योगदान मिलेगा।


युवा समिति—नवोन्मेष का स्रोत

प्रधानमंत्री मोदी ने हर राज्य से पाँच युवाओं की एक समिति बनाने की भी घोषणा की, जिनकी आयु 35 वर्ष से कम होगी। इस समिति का प्रमुख उद्देश्य होगा संग्रहालयों के प्रबंधन और संचालन में नई सोच और दृष्टिकोण लाना।

युवा दृष्टिकोण से होंगे बदलाव

कार्यशालाएँ—ज्ञान और क्षमता निर्माण

पीएम मोदी ने सुझाव दिया कि संग्रहालयों के प्रबंधन एवं संचालन से जुड़े लोगों के लिए नियमित कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँ।

कार्यशालाओं के संभावित लाभ

डिजिटलरण और सोशल मीडिया

प्रधानमंत्री ने डिजिटल तरीके अपनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने देश की समृद्ध विरासत को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने के उद्देश्य से कुछ प्रमुख कदम सुझाए:


प्रधानमंत्री संग्रहालय—इतिहास की सुनहरी कथाएँ

मोदी ने यह भी उल्लेख किया कि “प्रत्येक प्रधानमंत्री के योगदान को सम्मानित करते हुए एक समर्पित संग्रहालय” पहले से मौजूद होना चाहिए था। खासकर पं. जवाहरलाल नेहरू के कार्यों और विरासत को अब उचित स्थान मिल रहा है, जो 2014 से पहले नहीं था।


आपातकाल—50 वर्ष पूरे, दस्तावेज़ीकरण की तैयारी

प्रधानमंत्री मोदी ने सुझाव दिया कि आपातकाल के 50 वर्ष पूरी हो चुकी यादगार के अवसर पर उससे संबंधित सभी कानूनी दस्तावेज़ों, घटनाओं और सांस्कृतिक पहलुओं का संग्रह और संरक्षण किया जाए।

ऐतिहासिक जानकारी का महत्त्व

प्रयासों का समग्र असर

प्रस्तावित योजनाओं के माध्यम से मिलने वाले लाभ संक्षेप में:

  1. संग्रहालयों का एकीकृत दृष्टिकोण – “म्यूज़ियम मैप ऑफ इंडिया” डेटाबेस से सांस्कृतिक सम्पदा का संगठित रिकॉर्ड बनेगा।
  2. युवा नेतृत्व – नई सोच और तकनीकी नवप्रवर्तन संग्रहालयों में रुचि बढ़ाएंगे।
  3. आधुनिक कौशल – कार्यशालाओं से संग्रहालय कर्मियों का प्रोफेशनल विकास होगा।
  4. वैश्विक प्रचार – सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय सहभागिता से भारत की विरासत विश्वव्यापी हो सकती है।
  5. ऐतिहासिक संरक्षण – आपातकाल जैसे ऐतिहासिक पड़ावों का दस्तावेजीकरण भविष्य के लिए सुरक्षित स्मृति साबित होगा।

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “म्यूज़ियम मैप ऑफ इंडिया” और उससे जुड़ी योजनाएँ—युवा समितियाँ, कार्यशालाएँ, डिजिटलरण तथा ऐतिहासिक दस्तावेजीकरण—संग्रहालयों को आधुनिक, व्यापक और प्रभावशाली बनाने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम हैं। यदि इन योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू किया गया तो भारत के संग्रहालय वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं।”

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